Tag: #पुष्पा शर्मा कुसुम
-
ये उन्मुक्त विचार -पुष्पा शर्मा”कुसुम”
ये उन्मुक्त विचार -पुष्पा शर्मा”कुसुम” नील गगन के विस्तार सेपंछी के फड़फड़ाते पंख से,उड़ रहे, पवन के संग ये उन्मुक्त विचार । पूर्ण चन्द्र के…
-
तृष्णा पर कविता
तृष्णा पर कविता तृष्णा कुछ पाने कीप्रबल ईच्छा हैशब्द बहुत छोटा हैपर विस्तार गगन सा है।अनन्त नहीं मिलता छोर जिसकाशरीर निर्वाह की होतीआवश्यकतापूरी होती है।…
-
भाई पर कुण्डलिया छंद
साहित रा सिँणगार १०० के सौजन्य से 17 जून 2022 शुक्रवार को पटल पर संपादक आ. मदनसिंह शेखावत जी के द्वारा विषय- भाई पर कुण्डलिया…
-
भोजन पर दोहे का संकलन
15 जून 2022 को साहित रा सिंणगार साहित्य ग्रुप के संरक्षक बाबूलाल शर्मा ‘विज्ञ’ और संचालक व समीक्षक गोपाल सौम्य सरल द्वारा ” भोजन ”…
-
रोटी पर 5 बेहतरीन कविताएं -चौपाई छंद
13 जून 2022 को साहित रा सिंणगार साहित्य ग्रुप के संरक्षक बाबूलाल शर्मा ‘विज्ञ’ और संचालक व समीक्षक गोपाल सौम्य सरल द्वारा ” रोटी” विषय…
-
जिन्दगी पर कविता – पुष्पा शर्मा
जिन्दगी का मकसद रोज सोचती हूँ।जिन्दगी का मकसदताकती ही रहती हूँमंजिल की लम्बी राह। सोचती ही रहती हूँप्रकृति की गतिविधियाँ,जो चलती रहती अविराम।सूरज का उदय…
-
धूप पर कविता – पुष्पा शर्मा
धूप पर कविता – पुष्पा शर्मा कोहरे की गाढी ओढनीहिमांकित रजत किनारी लगी।ठिठुरन का संग साथ लिया सोई रजनी अंधकार पगी। ऊषा के अनुपम रंगों…
-
पुष्पा शर्मा की गीतिका – पुष्पा शर्मा
पुष्पा शर्मा की गीतिका – पुष्पा शर्मा नज़र अंदाज़ करते हैं गरीबी को सभी अब तो।भुलाकर के दया ममता सधा स्वारथ रहे अब तो। अहं…
-
परिवर्तन पर कविता – पुष्पा शर्मा
परिवर्तन पर कविता – पुष्पा शर्मा परिवर्तन अवश्यंभावी है, क्योंकि यह सृष्टि का नियम है।नित नये अनुसंधान का क्रम है।सतत श्रम शील मानव का श्रम है।…
-
जिन्दगी पर कविता
जिन्दगी पर कविता जिन्दगी है, ऐसी कली।जो बीच काँटों के पली।पल्लवों संग झूल झूले,महकी सुमन बनके खिली। जिन्दगी राहें अनजानी।किसकी रही ये पहचानी।कहीं राजपथ,पुष्पसज्जित,कहीं पगडण्डियाँ…