कवि और कविता/ पुष्पा शर्मा”कुसुम”
कवि: कवि वह व्यक्ति होता है जो शब्दों के माध्यम से भावनाओं, विचारों, और अनुभवों को व्यक्त करता है। कवि अपनी रचनाओं में कल्पना, संवेदना, और आत्मा का मिश्रण करते…
यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर० पुष्पा शर्मा कुसुम के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .
कवि: कवि वह व्यक्ति होता है जो शब्दों के माध्यम से भावनाओं, विचारों, और अनुभवों को व्यक्त करता है। कवि अपनी रचनाओं में कल्पना, संवेदना, और आत्मा का मिश्रण करते…
दैव व दानवों की वृत्तियां /पुष्पा शर्मा "कुसुम"द्वारा रचित दैव व दानवों की वृत्तियां/ पुष्पा शर्मा "कुसुम" कंटक चुभकर पैरों मेंअवरोधक बन जाते हैं,किन्तु सुमन तो सदैव हीनिज सौरभ फैलाते…
किरीट सवैया पर कविता भारत भव्य विचार सदा शुभ, भारत सद् व्यवहार सदा शुभभारत मंगल कारक है नित, भारत ही हित कारक है शुभ।भारत दिव्य प्रकाश सदा शुभ, भारत कर्म…
भारत माँ के सपूत - घनाक्षरी चाहे ठंड का कहरआधी रात का पहरतिलभर न हिलते,खड़े , सीना तान के। डरते न तूफान सेडटे हैं बड़ी शान सेभूख ,प्यास ,नींद छोड़,रखवारे…
जिन्दगी पर कविता जिन्दगी है, ऐसी कली।जो बीच काँटों के पली।पल्लवों संग झूल झूले,महकी सुमन बनके खिली। जिन्दगी राहें अनजानी।किसकी रही ये पहचानी।कहीं राजपथ,पुष्पसज्जित,कहीं पगडण्डियाँ पुरानी। जिन्दगी सुख का सागर…
द्रोपदी चीर प्रसंग पर दोहे पासे फेंके कपट केशकुनि रहा हर्षायदाव द्रोपदी लग गईरहे पाण्डव शर्माय सभा मध्य में द्रोपदीकरती करुण पुकारचीर दुशासन खींचतानहीं बचावन हार भीष्म बली कुरुराज ने …
श्रीकृष्ण पर दोहे Shri Krishna सुभग सलोने सांवरेनटवर दीन दयालनिरख मनोहर श्याम छविनैना हुए निहाल छवि मोहन की माधुरीनैना लीन्ह बसायजित देखों वो ही दिखेऔर ना कछु लखाय गावत गुण…
इन्तजार पर कविता विसंगति छाई संसृति मेंकरदे समता का संचार।मुझे ,उन सबका इन्तजार...। जीवन की माँ ही है, रक्षकफिर कैसे बन जाती भक्षक ?फिर हत्या, हो कन्या भ्रूण की या…
फरियादी हो (बेटी पर कविता) आज कोख की बेटी ही,अब पूछे बन फरियादी हो। बिना दोष क्यों बना दिया है,मुझको ही अपराधी हो। ईश विधान जन्म मेरा फिर,तुम क्यों पाप…
रुक्मणि मंगल दोहे विप्र पठायो द्वारिका,पाती देने काज।अरज सुनो श्री सांवरे,यदुकुल के सरताज।।रुक्मणि ने पाती लिखी,सुनिये श्याम मुकुंद।मो मन मधुप लुभाइयो,चरण- कमल मकरंद।।सजी बारात विविध विधि,आय गयो शिशुपाल।सिंह भाग सियार…