कवि और कविता/ पुष्पा शर्मा”कुसुम”

कवि:

कवि वह व्यक्ति होता है जो शब्दों के माध्यम से भावनाओं, विचारों, और अनुभवों को व्यक्त करता है। कवि अपनी रचनाओं में कल्पना, संवेदना, और आत्मा का मिश्रण करते हुए पाठकों को एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है। कवि का कार्य केवल शब्दों का संग्रह करना नहीं होता, बल्कि वह अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज, संस्कृति, प्रकृति, और व्यक्तिगत जीवन के विभिन्न पहलुओं को उजागर करता है।

कवि और कविता/ पुष्पा शर्मा"कुसुम"

कविता:

कविता एक साहित्यिक रचना होती है जो भावनाओं, विचारों और कल्पनाओं को संक्षिप्त और संगीतमय रूप में व्यक्त करती है। कविता में शब्दों का चयन और उनकी संरचना एक विशेष प्रकार की लय और ध्वनि उत्पन्न करती है, जिससे पाठक या श्रोता पर एक गहरा प्रभाव पड़ता है। कविता में आमतौर पर रूपक, अलंकार, छंद और अन्य साहित्यिक उपकरणों का प्रयोग किया जाता है।

कवि और कविता का संबंध अत्यंत गहरा और संवेदनशील होता है। कविता के माध्यम से कवि अपनी आत्मा की आवाज़ को शब्दों में ढालता है, जो पाठकों के दिलों को छू जाती है।

कवि और कविता

साथ जब से मिला तुम्हारा
डूबते को तिनके का सहारा
बस हो गया, तब से तुम्हारा
हर पल पाया साथ तुम्हारा।

जगनियन्ता की छवि अनुपम
प्रकृति का सौंदर्य सुन्दरतम
बहा रहा मैं शब्द सरिता
अध्यात्म की अनुभूति निरुपम।

पंचतत्व रचना का बखान
कराता नित परिवर्तन भान
प्रचण्ड प्रकृति वेग को सृजता
वर्णन अचम्भित सा करता।

स्थावर जंगम प्रकृति के रूप
जड़ चेतन की कृतियाँ अनूप
जल थल बसे सब जीवों की
गाथाएँ  मैं प्रति दिन कहता
कुछ पुरातन और कुछ नूतन
भविष्य की संभावना गढता।

सृष्टि  जीवों में श्रेष्ठ मानव
नित नये अनुसंधानों से
अर्जित शक्तियाँ मनभावन
है उसके सकल प्रयासों से
मैं रचता उनका इतिहास
शौर्य वीरता का अद्भुत विकास।

बचपन की निश्छल मुस्कान
चपल चंचल गति का शुभ गान
यौवन  का हास परिहास
श्रृंगार का मधुमय विकास
वियोग  की सांसों का भार
बीच में स्मृतियों की बौछार।

वृद्धावस्था की विवशता
संबन्धों में आई रिक्तता
मृत्यु  का शाश्वत सत्य सार
जगत  सब स्वार्थ का व्यापार।

मानवता  हित सुनहरे पल
बिताते समय सभी हिलमिल
ईर्ष्या,  द्वेष, लोभ  बेईमानी
बदलती हवा मनो में तूफानी।

असंगति ,विडम्बना, आक्रोश
विविध भावों का समुचित कोष।
सब के चित्रण में, तुम संबल!
अब तुम संग ही, जीवन प्रति पल।

पुष्पा शर्मा”कुसुम”

दिवस आधारित कविता