भारत माँ के सपूत
– घनाक्षरी
चाहे ठंड का कहर
आधी रात का पहर
तिलभर न हिलते,
खड़े , सीना तान के।
डरते न तूफान से
डटे हैं बड़ी शान से
भूख ,प्यास ,नींद छोड़,
रखवारे मान के।
समर्पित हैं देश को
मातृ -भू जगदीश को
तन, मन ,धन सब,
सुर -लय गान के।
लगे सब देव दूत
भारत माँ के सपूत
बचाये त्रासदी से वो,
निज धर्म मान के।
पुष्पा शर्मा “कुसुम”