अमित की कुण्डलियाँ

माता भव भयहारिणी, करिये हिय भयहीन।*
जगजननी जगदंबिका, जीवन कृपा अधीन।
जीवन कृपा अधीन, मातु सुत तुम्हीं सम्हारो।
विनती बारंबार, व्यथा से हमें उबारो।
कहे ‘अमित’ कविराज, आप ही सुख-दुख दाता।
सुनिये करुण पुकार, आज ओ मेरी माता।

भव्य भवानी भाविनी, भवपाली हैं आप।
संकट विकट उबारिए, हरिए मन अभिताप।
हरिए मन अभिताप, अगोचर अज अविनाशी।
दें वैभव वरदान, सिद्धि दात्री अमृताशी।
कहे ‘अमित’ कविराज, जयति जय मातु शिवानी।
विनती बारंबार, भक्त की भव्य भवानी।

आदि अनंता मातु श्री, आप जगत आधार।
आदरणीया आदिता, मानें जग आभार।
मानें जग आभार, जीव की माँ आकारी।
मिले स्नेह आशीष, बनें हम सत आचारी।
कहे ‘अमित’ कविराज, शक्ति ही विश्व नियंता।
*आदर सहित प्रणाम, हृदय से आदि अनंता।

कन्हैया साहू ‘अमित’
शिक्षक-भाटापारा छत्तीसगढ़

कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *