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अश्रु नीर नयन के – हेमलता भारद्वाज डॉली

अश्रु नीर नयन के

HINDI KAVITA || हिंदी कविता

अश्रु नयन के सूख गए अब ,
छोड़ दिया है हमने क्योंकि ,
सोचना ज्यादा अब l
*बचपन में रोए बहुत ,
रो-रो कर भरे नयन ।
दूर की सोच बनाते थे जब,
देता नहीं था साथ कोई तब,
हर तरफ से डांट डपट,
भरता रहता गुबार सब l
*भरते -भरते मन के अंदर,
हुआ समंदर “डाली “अश्रु जल जब,
फूट पड़ी धाराएं इत-उत ,
फिर मिला एक हमको ,
आत्मविश्वास का सबब l
छोड़ पीछे नीर नयन के
हो हर्षित पुलकित,
सुनते सबका,
करते मनका ,
प्रफुल्लित रहते सदा अब l
हेमलता भारद्वाज “डॉली”😊🙏🌹

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