अश्रु नीर नयन के – हेमलता भारद्वाज डॉली
अश्रु नीर नयन के अश्रु नयन के सूख गए अब ,छोड़ दिया है हमने क्योंकि ,सोचना ज्यादा अब l*बचपन में रोए बहुत ,रो-रो कर भरे नयन ।दूर की सोच बनाते थे जब,देता नहीं था साथ कोई तब,हर तरफ से डांट डपट, भरता रहता गुबार सब l *भरते -भरते मन के अंदर, हुआ समंदर “डाली “अश्रु … Read more