काग चील हँस रहे
काग चील हँस रहे गीत ढाल बन रहे.स्वप्न साज ढह गए. पीत वर्ण पेड़ हो. झूलते विरह गये देश देश की खबर. काग चील हँस रहे. मौन कोकिला हुई. काल ब्याल डस रहे. लाश लापता सभीमेघ शोक कह गये।पीत…………….।। शून्य पंथ ताकते. रीत प्रीत रो पड़ी. मानवीय भावना. संग रोग हथकड़ी. दूरियाँ सहेज लीधूप ले … Read more