बादल पर कविता
बादल पर कविता बादल घन हरजाई पागल,सुनते होते तन मन घायल।कहीं मेघ जल गरज बरसते,कहीं बजे वर्षा की पायल।इस माया का पार न पाऊँ,क्यों बादल बिरुदावलि गाऊँ। मैं मेघों का भाट नहीं जो,ठकुर सुहाती बात सुनाऊँ।नही अदावत रखता घन से,बे…

हिंदी कविता संग्रह

हिंदी कविता संग्रह
बादल पर कविता बादल घन हरजाई पागल,सुनते होते तन मन घायल।कहीं मेघ जल गरज बरसते,कहीं बजे वर्षा की पायल।इस माया का पार न पाऊँ,क्यों बादल बिरुदावलि गाऊँ। मैं मेघों का भाट नहीं जो,ठकुर सुहाती बात सुनाऊँ।नही अदावत रखता घन से,बे…
बादलो ने ली अंगड़ाई बादलो ने ली अंगड़ाई,खिलखलाई यह धरा भी!हर्षित हुए भू देव सारे,कसमसाई अप्सरा भी! कृषक खेत हल जोत सुधारे,बैल संग हल से यारी !गर्म जेठ का महिना तपता,विकल जीव जीवन भारी!सरवर नदियाँ बाँध रिक्त जल,बचा न अब…
काग चील हँस रहे गीत ढाल बन रहे.स्वप्न साज ढह गए. पीत वर्ण पेड़ हो. झूलते विरह गये देश देश की खबर. काग चील हँस रहे. मौन कोकिला हुई. काल ब्याल डस रहे. लाश लापता सभीमेघ शोक कह गये।पीत…………….।। शून्य…

सूनी सूनी संध्या भोर काली काली लगे चाँदनीचातक करता नवल प्रयोग।बदले बदले मानस लगतेरिश्तों का रीता उपयोग।। हवा चुभे कंटक पथ चलतेनीड़ों मे दम घुटता आजकाँप रहा पीला रथ रवि कासिंहासन देता आवाजझोंपड़ियाँ हैं गीली गीलीइमारतों में सिमटे लोग।बदले…………………।। गगन…
मन भँवरा नर देह भोर कुहासा शीत ऋतुतैर रहे घन मेह।बगिया समझे आपदावन तरु समझे नेह।।.तृषित पपीहा जेठ मेंकरे मेह हित शोरपावस समझे आपदाकोयल कामी चोर करे फूल से नेह वहमन भँवराँ नर देह।भोर……………..।।.ऋतु बासंती आपदासावन सिमटे नैनविरहा तन मन…