भोर वंदन- नवनिर्माण करें

भोर वंदन-नवनिर्माण करें ====लावणी छन्दगीत 16,14 पदांत 2==== सत्य सर्वदा अपनाएँ हम, न्योछावर निज प्राण करें।…राम राज्य आधार शिला ले,आओ नवनिर्माण करें।।… सत्य विकल तो हो सकता है, नहीं पराजय अंत मिले।झूठी चादर ओढ़े कलयुग, जयचंदों सह संत मिले।।कुपित मौलवी और पादरी, भ्रष्टाचारी पंत मिले।विषमय रक्त प्रवाहित होता, दंश मनुज के दंत मिले।। उदाहरण हम … Read more

सड़क पर कविता

सड़क पर कविता है करारा सा तमाचा, भारती के गाल पर।…रो रही है आज सड़कें, दुर्दशा के हाल पर।।… भ्रष्टता को देख लगता, हम हुए आज़ाद क्यूँ?आम जनता की कमाई, मुफ्त में बरबाद क्यूँ?सात दशकों से प्रजा की, एक ही फरियाद क्यूँ?नोट के बिस्तर सजाकर, सो रहे दामाद क्यूँ?चोर पहरेदार बैठे, देश के टकसाल पर…रो … Read more

हे शारदा तुलजा भवानी (सरस्वती-वंदना)

हे शारदा तुलजा भवानी (सरस्वती-वंदना) हे शारदा तुलजा भवानी, ज्ञान कारक कीजिये।…अज्ञानता के तम हरो माँ, भान दिनकर दीजिये।… है प्रार्थना नवदीप लेकर, चल पड़े जिस राह में।सम्मान पग चूमें पथिक के, हर खुशी हो बाँह में।।उत्तुंग पथ में डाल डेरा, नभ क्षितिज की चाह में।मन कामना मोती चमकते, चल चुनें हम थाह में। जो … Read more

मत करो प्रकृति से खिलवाड़-एकता गुप्ता

hasdev jangal

इस कविता में प्रकृति संरक्षण की बात कही गई है।