तुम्हारा साथ काफी है -राजेश्वरी जोशी
तुम्हारा साथ काफी है जिंदगी में तुम्हारा साथ काफी है, हाथों में मेरे तेरा हाथ काफी है। दूर हो या हो पास कोई बात नही है, तुम साथ हो यह एहसास काफी है। लड़ते भी रहते हैं,हँसते भी रहते है,…

हिंदी कविता संग्रह

हिंदी कविता संग्रह
तुम्हारा साथ काफी है जिंदगी में तुम्हारा साथ काफी है, हाथों में मेरे तेरा हाथ काफी है। दूर हो या हो पास कोई बात नही है, तुम साथ हो यह एहसास काफी है। लड़ते भी रहते हैं,हँसते भी रहते है,…
इस ग़ज़ल में किसी से मिलने की आरज़ू को बयाँ किया गया है |
फिर किसी मोड़ पर वो मिल जाएँ कहीं - ग़ज़ल - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"
धर्मपत्नी पर कविता ( विधाता छंद, २८ मात्रिक ) हमारे देश में साथी,सदा रिश्ते मचलते है।सहे रिश्ते कभी जाते,कभी रिश्ते छलकते हैं। बहुत मजबूत ये रिश्ते,मगर मजबूर भी देखे।कभी मिल जान देते थे,गमों से चूर भी देखे। करें सम्मान नारी…
सुख-दुख की बातें बेमानी ( १६ मात्रिक ) मैने तो हर पीड़ा झेली,सुख-दुख की बातें बेमानी। दुख ही मेरा सच्चा साथी,श्वाँस श्वाँस मे रहे संगाती।मै तो केवल दुख ही जानूं,प्रीत रीत मैने कब जानी,सुख-दुख की बातें बेमानी। साथी सुख केवल…

अब तो मेरे गाँव में . ( १६,१३ )अमन चैन खुशहाली बढ़ती ,अब तो मेरे गाँव में,हाय हलो गुडनाइट बोले,मोबाइल अब गाँव में। टेढ़ी ,बाँकी टूटी सड़केंधचके खाती कार में,नेता अफसर डाँक्टर आते,अब तो कभी कभार में। पण्चू दादा हुक्का…