Author: कविता बहार

  • पृथ्वीराज चौहान पर दोहे – बाबू लाल शर्मा

    पृथ्वीराज चौहान पर दोहे

    (दोहा छंद)

    अजयमेरु गढ़ बींठली, साँभर पति चौहान।
    सोमेश्वर के अंश से, जन्मा पूत महान।।

    ग्यारह सौ उनचास मे, जन्मा शिशु शुभकाम।
    कर्पूरी के गर्भ से, राय पिथौरा नाम।।

    अल्प आयु में बन गए, अजयमेरु महाराज।
    माँ के संगत कर रहे, सभी राज के काज।।

    तब दिल्ली सम्राट थे, नाना पाल अनंग।
    राज पाट सब कर दिया, राय पिथौरा संग।।

    दिल्ली से अजमेर तक, चौहानों की धाक।
    गौरी भारत देश को, तभी रहा था ताक।।

    बार बार हारा मगर, क्षमा करे चौहान।
    यही भूल भारी पड़ी, बार बार तन दान।।

    युद्ध तराइन का प्रथम, हारे शहाबुद्दीन।
    क्षमा पिथौरा ने किया, जान उन्हे मतिहीन।।

    किये हरण संयोगिता, डूब गये रस रंग।
    गौरी फिर से आ गया, लेकर सेना संग।।

    युद्ध तराइन दूसरा, चढ़ा कपट की भेंट।
    सोती सेना का किया, गौरी ने आखेट।।

    राय पिथौरा को किया, गौरी ने तब कैद।
    आँखे फोड़ी दुष्ट ने, बहा न तन से स्वेद।।

    बरदाई मित संग से, करतब कर चौहान।
    लक्ष्य बनाया शाह को, किया बाण संधान।।

    अमर पात्र इतिहास के, राय पिथौरा शान।
    गर्व करे भू भारती, जय जय जय चौहान।।


    © बाबू लाल शर्मा बौहरा ‘विज्ञ’

  • मतदान विषय पर दोहे- बाबू लाल शर्मा

    मतदान विषय पर दोहे- बाबू लाल शर्मा

    सोच समझ मतदान

    (दोहा-छंद)
    1.
    मत अयोग्य को दें नहीं, चाहे हो वह खास।
    वोट देय हम योग्य को, सब जन करते आस।।

    2.
    समझे क्यों जागीर वे, जनमत के मत भूल।
    उनको मत देना नहीं, जिनके नहीं उसूल।।

    3.
    एक वोट शमशीर है, करे जीत या हार।
    इसीलिए मतदान कर, एक वोट सरकार।।

    4.
    मतदाता पहचान को, लेय कार्ड बनवाय।
    निर्भय हो निर्णय करें, वोट देन को जाय।।

    5.
    वर्ष अठारह होत ही, बी.एल.ओ पहि जाय।
    मतदाता सूची बने, तुरतहि नाम लिखाय।।

    6.
    अपना मत निर्णय करे, सत्य बात यह मान।
    यही समझ के कीजिए, सोच समझ मतदान।

    7.
    लोखतंत्र मे ही मिला, यह अनुपम उपहार।
    अपने मत से हम चुनें, अपनी ही सरकार।।

    8.
    भारत के हम नागरिक, मत अपना अनमोल।
    संसद और विधायिका, चुनिए आँखे खोल।।

    9.
    ई.वी.एम. को देखिए, चिन्ह चुनावी देख।
    अंतर्मन से वोट दें , तर्जनि अंगुलि टेक।।

    10.
    सबको यह समझाइए, देना वोट विवेक।
    लोकतंत्र कायम रहे, चुनिए मानस नेक।।

    11.
    बड़े बुजुर्गन साथ ले, चलना अपने बूथ।
    मत का हक छोड़ें नहीं, चाहे भीड़ अकूथ।।

    12.
    नर नारी दोनो चलें, पंक्ति भिन्न बनवाय।
    बारी बारी वोट दो, सबको यह समझाय।।

    13.
    सबसे वर जनतंत्र है, भारत देश महान।
    मतदाता उसके बनें, यही हमारी शान।।

    14.
    जन प्रतिनिधि सारे चुने, अपने मत से आप।
    फिर कैसा डर आपको, कैसा पश्चाताप।।

    15.
    सगा सनेही मीत जन, सबको यह समझाय।
    अपना हक मतदान है, विरथा कभी न जाय।।

    © बाबू लाल शर्मा “बौहरा”, विज्ञ

  • शुभकामना विषय पर दोहा -बाबू लाल शर्मा

    शुभकामना विषय पर दोहा -बाबू लाल शर्मा


    करूँ सदा शुभ कामना, उन्नत होवे देश।
    भूमण्डल सरनाम हो, उज्ज्वल हो परिवेश।।

    देश वासियों के लिये, नये साल संदेश।
    जनता को शुभकामना, खुशियाँ सभी प्रदेश।।

    सामाजिक परिवेश में, मानव मान समाज।
    सबके हित शुभकामना, नये साल की आज।।

    नारी को शुभकामना, मैं देता करजोर।
    शक्ति देश की ये बने, बढ़े उन्नति ओर।।

    राजनीति ऐसी करो, जो होवे निष्पाप।
    नेताओं शुभकामना, देश सँवारो आप।।

    छात्र सभी अच्छेे पढ़ें, ऊँचा कर दे नाम।
    भावि उज्ज्वला के लिए, शुभाशीष शुभकाम।।

    ऐसी है शुभकामना, मानवता हित मान।
    दीन हीन दिव्यांग का, करें भला सम्मान।।

    सैनिक को शुभकामना, जयति शहीद, जवान।
    अनदाता दुख दूर हो, जय हम कहे किसान।।

    लेखक जो साहित्य के, गुरुजन सभी सँभार।
    है उनको शुभकामना, जिन पर गुरुतर भार।।

    मात पिता के स्वप्न सब, करने हैं साकार।
    दें उनको शुभकामना, ऊँचे रखो विचार।।

    मजदूरों हित में रहे, नीति नियम सरकार।
    सच्ची है शुभकामना, वे असली पतवार।।

    हिन्दी हित शुभकामना, शुभ हो हिन्दुस्तान।
    अपनी ताकत समझकर, झेंपें पाकिस्तान ।।

    रीत प्रीत सद्भावना, रहे सभी इंसान।
    प्यारी सी शुभकामना, नेह नीति ईमान।।

    बिटिया सबको हो प्रिये, रहे मान अरमान।
    मेरी है शुभ कामना, बेटी बने महान।।

    उन सबको शुभकामना, रहा जिन्हे मैं भूल।
    शर्मा बाबू लाल की, करना दुआ कबूल।।

    ©बाबू लाल शर्मा “बौहरा” ,विज्ञ

  • मकर से ऋतुराज बसंत (दोहा छंद)-बाबू लाल शर्मा

    मकर से ऋतुराज बसंत (दोहा छंद)-बाबू लाल शर्मा


    सूरज जाए मकर में, तिल तिल बढ़ती धूप।
    फसले सधवा नारि का, बढ़ता रूप स्वरूप।।
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    पशुधन कीट पतंग भी, नवजीवन मम देश।
    वन्य जीव पौधे सभी, कली खिले परिवेश।।
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    तितली भँवरे मोर पिक, करते हैं मनुहार।
    ऋतु बसंत के आगमन, स्वागत करते द्वार।।
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    मानस बदले वसन ज्यों, द्रुम दल बदले पात।
    ऋतु राजा जल्दी करो, बिगड़ी सुधरे बात।।
    .
    शीत उतर राहत मिले ,होवें शुभ सब काज।
    उम्मीदें ऋतुराज से, करते हैं सब आज।।
    .
    ऋतु राजा भी आ रहे, अब तो आओ कंत।
    विरहा के मनराज हो, मेरे मनज बसंत।।
    .
    रथी उत्तरायण चला, अब तो प्रिय रविराज।
    प्रिये मिलन को बावरी, पाती लिखती आज।।
    .
    प्रियतम आओ तो प्रिये, ऋतु बसंत के साथ।
    सत फेरों की याद कर, वैसे पकड़ें हाथ।।
    .
    कंचन निपजे देश में, कनक विहग सम्मान।
    चाँदी सी धरती तजी, परदेशी मिथ शान।।
    .
    आजा प्रियतम देश में, खूब मने संक्रांति।
    माटी अपने देश हित, मिटा पिया मन भ्रांति।।
    .
    प्रीतम तिल तिल जोड़ती, लड्डू बनते आज!
    बाँट निहारूँ साँवरे, तकूँ पंथ आवाज।।

    © बाबू लाल शर्मा “बौहरा” , विज्ञ

  • वट सावित्री पूजा पर दोहे -बाबू लाल शर्मा

    वट सावित्री पूजा पर दोहे -बाबू लाल शर्मा

    वट सावित्री पूजा पर दोहे -बाबू लाल शर्मा


    वट सावित्री पूज कर, जो रखती उपवास।
    धन्य धन्य है भारती, प्राकत नारी आस।।

    ढूँढे पूजन के लिए, बरगद दुर्लभ पेड़।
    पथ भी दुर्गम हो रहे, हुई कँटीली मेड़।।

    पेड़ सभी है काम के, रखना इनका ध्यान।
    दीर्घ आयु होता सखे, वट का पेड़ महान।।

    पुत्र सरीखे पालिए, सादर तात समान।
    फूल छाँव फल दे यही, ईंधन काष्ठ प्रमान।।

    बरगद पीपल पूजना, हो तब ही साकार।
    पौधारोपण से करें, धरती का शृंगार।।


    © बाबू लाल शर्मा, बोहरा , विज्ञ