वृक्ष की पुकार कविता -महदीप जंघेल

चंद पैसों के लिए वृक्ष का सौदा न करे। वृक्ष है, तो विश्व है। वृक्ष हमारी माँ के समान है, जो हमे जीवन प्रदान करके सब कुछ अर्पण करती है। अतः पेड़ लगाएं और पर्यावरण बचाएं🌻🌻

वृक्ष की पुकार – कविता, महदीप जंघेल

क्यों काट रहे हो जंगल -बिसेन कुमार यादव’बिसु’ (वन बचाओ आधारित कविता)

क्यों काट रहे हो जंगल (वन बचाओ आधारित कविता) क्यों कर रहे हो अहित अमंगल!क्यों काट रहे हो तुम जंगल!! धरती की हरियाली को तूने लूटा!बताओ कितने जंगल को तूने काटा!! वनों में अब न गुलमोहर न गूलर खड़ी है!हरी-भरी धरती हमारी बंजर पड़ी है!! अगर ये जंगल नहीं रहा तो, कजरी की गीत कहां … Read more

सम्भल जाओ आज से- प्रिया सिंह

सम्भल जाओ आज से- प्रिया सिंह भारत वर्ष की बेटी हूं, समझ गई अपना अधिकार ।अन्याय नहीं सहन करेंगे, अब मेरी भी वाणी में धार।अब चाहोगे तुम रोकना हमें , अपने आदतन अंदाज से।पर रोकने वाले!  खुद रुक जाओ, सम्भल जाओ आज से । जितना करना था अत्याचार हम पर, उसको हम सह गये।सहते सहते … Read more

03 जून विश्व साइकिल दिवस पर दोहे

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03 जून विश्व साइकिल दिवस पर दोहे पाँवगाड़ी साइकिल साधन एक है,सस्ता और आसान।जिसकी मर्जी वो चले, चल दे सीना तान।। बचपन साथी संग चढ़, बैठे मौज उड़ाय।धक्का दें साथी गिरे त, उसको खूब चिड़ाय।। आगे पीछे बीच में, तीन पीढ़ी बिठाय।हँसते गाते बढ़े चलें, देख लोग हरसाय।। खुद ढोती व बोझ संग, खर्चे भी … Read more

तिल-तिल कर हम जलना सीखें

तिल-तिल कर हम जलना सीखें जीवन दीप वर्तिका तन की, स्नेह हृदय में भरना सीखें।दानवता का तिमिर हटाने, तिल-तिल कर हम जलना सीखें। अमा निशासी घोर निशा हो, अन्धकारमय दसों दिशा हों।झंझा के झोंके हों प्रतिपल, फिर भी अविचल चलना सीखें ॥ तिल.. बीहड़ वन चाहे नद – नाले, शैल शृंगारभी बाधा डालें।कुश-कंटक-युत पंथ विकट … Read more