Author: कविता बहार

  • माता मेरी भाग्य विधाता

    माता मेरी भाग्य विधाता

    मातृपितृ पूजा दिवस भारत देश त्योहारों का देश है भारत में गणेश उत्सव, होली, दिवाली, दशहरा, जन्माष्टमी, नवदुर्गा त्योहार मनाये जाते हैं। कुछ वर्षों पूर्व मातृ पितृ पूजा दिवस प्रकाश में आया। आज यह 14 फरवरी को देश विदेश में मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ में रमन सरकार द्वारा प्रदेश भर में आधिकारिक रूप से मनाया जाता है

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    माँ पर कविता

    माता मेरी भाग्य विधाता

    जिसकी दुनिया एक पहेली।
    होती सच्ची मातु सहेली ।।
    धरणी सी मॉं दुख है सहती।
    शिशु की सकल पीर है हरती।।

    प्रसव वेदना सहकर माता।
    शिशु की बनती जीवनदाता।।
    देती हमको नूतन काया।
    नेह भरी नव शीतल छाया।।

    मॉं की आँचल सुख की छाया।
    जिसको ढककर दूध पिलाया।।
    गीले बिस्तर पर मॉं सो कर।
    नींद चैन को अपना खोकर।।

    पाल पोषकर योग्य बनाती ।
    पढ़ा लिखाकर भाग्य जगाती।।
    माता की सब करना सेवा ।
    पाने जीवन में शुचि मेवा।।

    माता मेरी भाग्य विधाता ।
    बनी प्रथम गुरु जग की माता।।
    मॉं नित देती अविचल शिक्षा।
    गहन ज्ञान की देती दीक्षा।।

    सदा सिखाती सद्गुण सारे।
    देकर सद्गुण दुर्गुण टारे।।
    माता मेरी भाग्य सँवारे।
    हम सब उनकी राज दुलारे।।


    पद्मा साहू “पर्वणी”
    खैरागढ़ जिला राजनांदगांव छत्तीसगढ़

  • खुश में माँ दुख में माँ

    मातृपितृ पूजा दिवस भारत देश त्योहारों का देश है भारत में गणेश उत्सव, होली, दिवाली, दशहरा, जन्माष्टमी, नवदुर्गा त्योहार मनाये जाते हैं। कुछ वर्षों पूर्व मातृ पितृ पूजा दिवस प्रकाश में आया। आज यह 14 फरवरी को देश विदेश में मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ में रमन सरकार द्वारा प्रदेश भर में आधिकारिक रूप से मनाया जाता है।

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    माँ पर कविता

    खुश में माँ दुख में माँ

    खुशियों का वरदान है माँ
    चमकती हुई सितारा है माँ
    बिना कहे सबकुछ समझती है माँ
    बिना कहे आंखों से सब पढ लेती है माँ ।
    मेरी माँ…प्यारी माँ…
    खुशी में माँ….दुख में माँ…


    जीवन जीने की रास्ता दिखाती है माँ
    मेरी पूरी की पूरी दुनिया है माँ
    मेरे लिए खाना बनाकर खिलाती है माँ
    मेरे लिए अपने हाथों को चूल्हे में जलाती है माँ।
    मेरी माँ…. प्यारी माँ…
    खुशी में माँ …दुख में माँ…


    सबकुछ मिलता है दुनिया में
    मगर…..
    मां-बाप कभी नहीं मिलते…
    याद रखना जरा….
    कभी कम नहीं होता मां का प्यार
    मेरी माँ…. प्यारी माँ….
    खुशी में माँ…दुख में माँ….


    जिन्दगी की पहली शिक्षक है माँ
    जिन्दगी की पहली दोस्त है माँ
    जिन्दगी में साथ देने वाली भी माँ
    जन्नत से भी खूबसूरत है माँ।
    मेरी माँ…. प्यारी माँ….
    खुशी में माँ….दुख में माँ…


    ममता और आशीर्वादों का सागर है माँ
    घर को आलोकित सुन्दर निष्कंप दीपक है माँ
    धरती पर ईश्वर का अवतार है माँ
    सिर्फ माँ नहीं मेरी भगवान है माँ
    मेरी माँ… प्यारी माँ….
    खुशी में माँ…दुख में माँ….

  • ममता का सागर है माँ

    मातृपितृ पूजा दिवस भारत देश त्योहारों का देश है भारत में गणेश उत्सव, होली, दिवाली, दशहरा, जन्माष्टमी, नवदुर्गा त्योहार मनाये जाते हैं। कुछ वर्षों पूर्व मातृ पितृ पूजा दिवस प्रकाश में आया। आज यह 14 फरवरी को देश विदेश में मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ में रमन सरकार द्वारा प्रदेश भर में आधिकारिक रूप से मनाया जाता है।

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    माँ पर कविता

    ममता का सागर है माँ


    ममता का सागर है माँ
    जन्नत का फूल है माँ
    ईश्वर का सबसे बेहतरीन सृजन है माँ
    सिर्फ एक शब्द नहीं एक दुनिया है माँ।


    खुद रोकर भारत हमेशा मुझे हसाया है माँ
    मेरेलिए हर वक्त दुआ मांगती है माँ
    साया बनकर हमेशा साथ रहती है माँ
    संस्कार हम पर भरती है माँ।


    बच्चे की पहली गुरु होती है माँ
    सारी उम्र अपने परिवार केलिए समर्पित कर देती है माँ
    अगर मैं रोती हूँ तो सीने से लगाती है माँ
    दया और प्यार की प्रतिमूर्ति है माँ।


    जीवन की पहली सीढी होती है माँ
    बच्चों की जिंदगी को स्वर्ग बनाती है माँ
    ममता की मूरत है माँ
    जिन्दगी की पहली दोस्त है माँ।


    सुरक्षा कवच की तरह होती है माँ
    ईश्वर का सबसे कीमती तोफा है माँ
    मेरे जीवन की मजबूत स्तंभ है माँ
    नींद अपनी भुलाकर सुलाया है माँ।


    अपने आंसू गिराकर हसाया है माँ
    मेरी सबसे बड़ी मार्गदर्शक है माँ
    मेरी जड और नींव है माँ
    भगवान का दूसरा नाम है माँ।


    ममता का भंडार है माँ
    हमारे जीवन को प्राण देती है माँ
    माँ को खुश रखा करो
    माँ का दिल मत दुखाना
    ममता का सागर है माँ
    जन्नत का फूल है माँ

    Beena .M
    MA , MPhil Hindi
    Hindi Lecturer
    Palakkad,kerala

  • प्रेरणा दायक कविता – श्री सुमित्रानंदन पंत

    प्रेरणा दायक कविता-

    प्रेरणा दायक कविता - श्री सुमित्रानंदन पंत

    प्राणों से भी प्यारा देश- श्री सुमित्रानंदन पंत


    प्राणों से भी प्यारा, भारत, सब देशों से न्यारा है।
    प्राणों से भी प्यारा है। सब देशों से….


    गंगा यमुना की धाराएँ, हिमगिरि की उत्तुंग शिखाएं
    केशर की क्यारी नंदन वन, हरियाली केरल मन भाए।
    सागर अर्घ्य चढ़ाता नित-नित, शीष चरण रज धारा है। प्राणों से


    वर्षा आतप शीला सुहाता, है पावन अतिशय सुखदाता,
    और बस का शीतल झोंका, मादकता रस बरसाता।
    पतझर के झोंकों में संचित, नव जीवन की धारा है। प्राणों से


    दीप पर्व पर दीप जलाते, रंग उड़ाकर फाग मनाते,
    रावण वध कर पुण्य, दशहरा पर अतिशय हर्षाते।
    राखी के पावन धागों पर, शत-शत जीवन वारा है। प्राणों से


    जली यहीं जौहर की ज्वाला, सूर्या और परमाल सी बाला,
    खूब लड़ी झाँसी की रानी, पान किया मीरा विष प्याला
    सीता, सावित्री, अनुसुइया, का सतीत्व व्रत न्यारा । प्राणों से ..


    यहाँ प्रताप शिवा सा सानी, सूर और तुलसी सा ज्ञानी
    हुआ धनुर्धर पार्थ सरीखा, वीर कर्ण सा अनुपम दानी,
    गुरु गोविन्द, नानक ने आहुति, देकर इसे संवारा है।


    – श्री सुमित्रानंदन पंत

  • प्रेरणा दायक कविता – लो आज बज उठी रणभेरी

    प्रेरणा दायक कविता
    प्रेरणादायक कविता

    प्रेरणा दायक कविता – लो आज बज उठी रणभेरी


    माँ कब से खड़ी पुकार रही पुत्रो निज कर में शस्त्र गहो
    सेनापति की आवाज हुई तैयार रहो, तैयार रहो
    आओ तुम भी दो आज विदा अब क्या अड़चन अब क्या देरी?
    लो आज बज उठी रणभेरी॥


    पैंतीस कोटि लड़के-बच्चे
    जिसके बल पर ललकार रहे
    वह पराधीन बन निज गृह में
    परदेशी की दुत्कार सहे
    कह दो हमको अब सहा नहीं मेरी माँ कहलाए चेरी!
    लो आज बज उठी रणभेरी!!


    जो दूध-दूध कह तड़प गए
    दाने-दाने को तरस मरे
    लाठियां-गोलियां जो खाई
    वे घाव अभी तक बने हरे
    उन सबका बदला लेने को अब बांहें फड़क रहीं मेरी!


    लो आज बज उठी रणभेरी !!
    अब बढ़ो चलो अब बढ़े चलो
    निर्भय हो जय के गान करो
    सदियों में अवसर आया है

    बलिदानी, अब बलिदान करो
    फिर माँ का दूध उमड़ आया बहनें देती मंगल-फेरी!
    लो आज बज उठी रणभेरी!!


    जलने दो जौहर की ज्वाला
    अब पहनो केसरिया बाना
    आपस का कलह डाह छोड़ो
    तुमको शहीद बनने जाना
    जो बिना विजय वापस आये माँ आज शपथ उसको तेरी!
    लो आज बज उठी रणभेरी!!