Author: कविता बहार

  • भारत है आने वाले कल का आगाज़ – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    भारत है आने वाले कल का आगाज़ – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    tiranga

    भारत है आने वाले कल का आगाज़
    जिसके सर पर होगा
    भविष्य की दुनिया का ताज
    पलती है जहां संगीत की संस्कृति
    घुंघरुओं की आवाज़ पर
    जहां मूक भी मधुर वाणी में
    गाते हैं आलाप सुनकर
    कथा यहाँ की निराली है
    हर छटा यहाँ की निराली है
    संस्कारों की पुण्य भूमि यह
    दुनिया की शान मात्रभूमि यह
    भारत का अर्थ इसके सत्य में है
    जीता है भारत
    हर भारतीय के कर्म में
    सुदामा – कृष्ण की दोस्ती के
    किस्से यहाँ पलते हैं
    राम – हनुमान की भक्ति के
    सत्य यहाँ खिलते हैं
    गौतम – नानक की पुण्यभूमि यह
    यहाँ गली – गली में आलाप इनके सुनते हैं
    पावन जिसकी नदियों के घाट हैं
    बुलाते हम सबको मंदिर – मस्जिद के द्वार हैं
    त्योहारों की छटा की बात मत पूछो यारों
    यहाँ राम और रहीम खाते एक थाल हैं
    मुस्कुराती यहाँ चारों ओर हरियाली है
    अपनी ओर खींचती यहाँ हर धर्म की डाली है
    पवित्रता इस धरा की निराली है
    पूजे जाते साधु- संत और यहाँ पीर हैं
    पत्थर भी पूजे जाते यहाँ
    धर्मपूर्ण धरा यह विश्व में निराली है
    भारत है आने वाले कल का आगाज़
    जिसके सर पर होगा भविष्य की दुनिया का ताज

  • कर्म कर ले प्यारे – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    कर्म कर ले प्यारे – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    kavita-bahar-banner

    पाप पुण्य के चक्कर में
    मत पड़ प्यारे
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे
    परिणाम की चिंता में
    नींद हराम मत कर प्यारे
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे


    जीवन बहती
    धारा का नाम है
    हो सके तो जीवन में
    कुछ अच्छे काम कर ले प्यारे
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे


    आत्मा पवित्र कर
    परमात्मा में
    लीन हो प्यारे
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे
    सद्चरित्र धरती पर
    जीवता हर मुकाम है
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे


    निराशा के झूले में
    झूलना मत प्यारे
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे
    योग का आचमन कर
    आत्मा को पुष्ट कर प्यारे
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे


    जीवन बहती नदी है
    विश्राम ना कर प्यारे
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे
    मन है चंचल पर
    आत्मा पर अपनी
    अंकुश लगा प्यारे
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे


    जीना है धरा पर तो
    पुन्यमूर्ती बन कर जी प्यारे
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे
    सत्कर्म पूजनीय परमात्मा
    दर्शन देत प्यारे
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे


    जीवन लगाम कस
    अल्लाह को सलाम कर प्यारे
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे
    बंधनों के मोह में
    तू ना पड़ प्यारे
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे


    शांत स्वभाव
    मृदु वचन बोल प्यारे
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे
    निर्बाध तू बढ़ा चल
    भक्ति का आँचल पकड़
    जीवन राह विस्तार कर ले प्यारे
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे


    साँसों की डोर की मजबूती का
    भरोसा नहीं है
    उड़ सके तो सद्ज्ञान के
    आसमान में उड़ प्यारे
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे
    अधर्म की राह छोड़
    धर्म पथ से नाता जोड़
    किस्मत संवार ले
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे


    छूना है आसमान
    पाना है उस पुण्यमूर्ति
    परम परमात्मा को
    जीवन को अपने
    कर्म पथ पर निढाल
    कर ले प्यारे
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे

  • हिंदी संग्रह कविता-बलि पथ का इतिहास बनेगा

    बलि पथ का इतिहास बनेगा

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह


    बलि पथ का इतिहास बनेगा
    मर कर जो नक्षत्र हुए हैं उनसे ही आकाश बनेगा।


    सह न सकें जो भीषणता को, सर पर बाँध कफन निकले थे,
    देख उन्हें मुस्करा कर जाते, पत्थर भी मानों पिघले थे।
    इस उत्सर्गमयी स्मिति से ही माँ का मधुर सुहास बनेगा।


    कायरता ने शीश झुका जब, हार अरे अपनी थी मानी।
    तरूणाई ने अपने बल से, लिख दी थी रंगीन कहानी।
    उनके लाल रक्त से ही, सिन्दूर का उल्लास बनेगा।


    खून सींच कर फूल खिलाये, झुके शीश थे बलिदानों को।
    और अमरता मिली सहज ही, बलिपथ के उन दीवानों को।
    उनके बलिदानों से जग में आज नया इतिहास बनेगा।

  • रिश्तों का ख़ून – 15 मई विश्व परिवार दिवस विशेष कविता

    परिवार (family) साधारणतया पति, पत्नी और बच्चों के समूह को कहते हैं, किंतु दुनिया के अधिकांश भागों में वह सम्मिलित वासवाले रक्त संबंधियों का समूह है जिसमें विवाह और दत्तक प्रथा स्वीकृत व्यक्ति भी सम्मिलित हैं।

    परिवार
    १५-मई-विश्व-परिवार-दिवस-पर-लेख-15-May-World-Family-Day

    रिश्तों का ख़ून – 15 मई विश्व परिवार दिवस

    ख़ून के रिश्ते सम्भालो यारों, रिश्तों का ना ख़ून करो।
    आप सम्पन्न हो गये हो तो, उनका दु:ख मालूम करो।
    शायद हीन भावना हो उनमें, या आपसे कतराते हों।
    या सीधेपन का फायदा उठा उन्हें कोई भड़काते हों।

    ख़ून के रिश्ते अपने होते, वो रिश्तेदार तुम्हारा है।
    ईर्श्या, नफ़रत मत पालो, ख़ून आखिर तुम्हारा है।
    भाई हो आर्थिक कमजोर, हाथ उसका थाम लो।
    तुम अगर सक्षम हो तो, ईश्वर की मर्जी मान लो।

    माना कुछ गलतफहमियां, आपस में हो ही जाती हैं।
    दु:ख तकलीफ़ में आख़िर याद आप ही की आती है।
    अपनों के होते अपने दूसरों के आगे हाथ फैलाते है ।
    तो अपने साथ आपकी भी इज्जत पे बट्टा लगाते है।

    अनाथालयों में दान करो और अपना भूखा सोता है।
    बहन तंगहाल जीवन जीती, उसका परिवार रोता है।
    संस्थाओं में धन दान करो, भाभी के घर ना आटा है।
    ईश्वर क्या तुमसे खुश होगा, वही तो सबका दाता है।

    ख़ून के रिश्तों की मदद करो, यही फर्ज तुम्हारा है।
    उनसे ईर्श्या द्वेश, भाव करो तो पतन भी तुम्हारा है।
    रिश्तों का ख़ून मत करो, रिश्तों से पहचान होती है।
    गले लगाकर देखो तो, रिश्तों में अपनायत होती है।

    राकेश सक्सेना

  • 15 मई विश्व परिवार दिवस पर लेख

    15 मई विश्व परिवार दिवस पर लेख पढ़ने से पहले आप इस विषय पर अब तक कविता बहार में संग्रहित रचनाएँ पढ़िए :-

    अब तक प्रकाशित रचनाएँ ( लोकप्रियता के आधार पर )

    विश्व परिवार दिवस 15 मई को मनाया जाता है। प्राणी जगत में परिवार सबसे छोटी इकाई है या फिर इस समाज में भी परिवार सबसे छोटी इकाई है। यह सामाजिक संगठन की मौलिक इकाई है। परिवार के अभाव में मानव समाज के संचालन की कल्पना भी दुष्कर है। प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी परिवार का सदस्य रहा है या फिर है। उससे अलग होकर उसके अस्तित्व को सोचा नहीं जा सकता है।

    हमारी संस्कृति और सभ्यता कितने ही परिवर्तनों को स्वीकार करके अपने को परिष्कृत कर ले, लेकिन परिवार संस्था के अस्तित्व पर कोई भी आंच नहीं आई। वह बने और बन कर भले टूटे हों लेकिन उनके अस्तित्व को नकारा नहीं जा सकता है। उसके स्वरूप में परिवर्तन आया और उसके मूल्यों में परिवर्तन हुआ लेकिन उसके अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न नहीं लगाया जा सकता है। 

    परिवार
    १५-मई-विश्व-परिवार-दिवस || 15-May-World-Family-Day

    परिवार का स्वरूप

    परिवार व्यक्तियों का वह समूह होता है,  जो विवाह और रक्त सम्बन्धों से जुड़ा होता है जिसमें बच्चों का पालन पोषण होता है ।  परिवार एक  स्थायी और  सार्वभौमिक संस्था है।  किन्तु इसका स्वरूप  अलग अलग स्थानों पर भिन्न हो सकता है । 

    पश्चिमी देशों में अधिकांश नाभिकीय  परिवार पाये जाते  हैं । नाभिकीय परिवार वे परिवार होते हैं जिनमें माता-पिता और उनके बच्चे रहते हैं । इन्हें एकाकी परिवार भी कहते हैं। जबकि भारत जैसे देश में सयुंक्त और विस्तृत परिवार की प्रधानता होती  है । संयुक्त परिवार वह परिवार है जिसमें माता पिता और बच्चों के साथ दादा दादी भी रहतें हैं । यदि इनके साथ चाचा चाची ताऊ या अन्य सदस्य भी रहते हैं तो इसे विस्तृत परिवार कहते हैं ।  वर्तमान में ऐसे परिवार बहुत कम देखने को मिलते हैं । व्यापरी वर्ग में विस्तृत परिवार अभी भी मिलते हैं ।  क्योंकि उन्हें व्यापार के लिये मानव शक्ति की आवश्यकता होती है ।परिवार के बिना समाज की कल्पना नहीं की जा सकती ।

    व्यक्ति के जीवन में परिवार की भूमिका

    एक बच्चे के रूप में हमें जन्म देने के बाद परिवार में उपस्थित माता-पिता हमारा पालन पोषण करते हैं। ब्रश करने तथा जूते का फीता बाँधने से लेकर पढ़ा-लिखा कर समाज का एक शिक्षित वयस्क बनाते हैं। भाई-बहन के रूप में घर में ही हमें दोस्त मिल जाते हैं, जिनसे अकारण हमारी अनेक लड़ाई होती है। भावनात्मक सहारा और सुरक्षा भाई-बहन से बेहतर और कोई नहीं दे सकता है। घर के बड़े-बुजुर्ग के रूप में दादा-दादी, नाना-नानी बच्चे पर सर्वाधिक प्रेम न्यौछावर करते हैं।

    कटु है पर सत्य है, व्यक्ति पर परिवार का साया न होने पर व्यक्ति अनाथ कहलाता है। इसलिए समृद्ध या गरीब परिवार का होना आवश्यक नहीं पर व्यक्ति के जीवन में परिवार का होना अतिआवश्यक है।

    परिवार और हमारे मध्य दूरी के कारण

    • परिवार की अपेक्षाएं – हमारे किशोरावस्था में पहुंचने पर जहां हमें लगने लगता है हम बड़े हो गए हैं वहीं परिवार की कुछ अपेक्षाएं भी हम से जुड़ जाती हैं। ज़रूरी नहीं हम उन अपेक्षाओं पर खरे उतर पाए अंततः रिस्तों में खटास आ जाती है।
    • हमारा बदलता स्वरूप – किशोरावस्था में पहुंचने पर बाहरी दुनिया के प्रभाव में आकर हम स्वयं में अनेक परिवर्तन करना चाहते हैं, जैसे की अनेक दोस्त बनाना, प्रचलन में चल रहे कपड़े पहनना, परिस्थिति को अपने तरीके से हल करना आदि। इस सब तथ्यों पर हमारा परिवार हमारे साथ सख्ती से पेश आता है ऐसे में हमारी न समझी के कारण कई बार रिस्तों में दरार आ जाते हैं। यहां एक दूसरे को समझने की ज़रूरत है।
    • विचारधारा में असमानता – अलग पीढ़ी से संबंधित होने के वजह से हमारे विचार और हमारे परिवार जनों के विचारधारा में बहुत अधिक असमानता होती है। जिसके वजह से परिवार में क्लेश हो सकता है।

    परिवार महत्वपूर्ण क्यों है?

    • व्यक्ति के व्यक्तित्व का पूर्ण निर्माण परिवार द्वारा होता है इसलिए सदैव समाज व्यक्ति के आचरण को देखकर उसके परिवार की प्रशंसा या अवहेलना करता है।
    • व्यक्ति के गुणों में जन्म से पूर्व ही उसके परिवार के कुछ अनुवांशिक गुण उसमें विद्यमान रहते हैं।
    • व्यक्ति की हर परेशानी (आर्थिक, समाजिक, निजी) परिवार के सहयोग से आसानी से हल हो सकती है।
    • मतलबी दुनिया में जहां किसी का कोई नहीं होता वहां हम परिवार के सदस्यों पर आख बंद कर के विश्वास कर सकते हैं।
    • परिवार व्यक्ति को मजबूत रूप से भावनात्मक सहारा प्रदान करता है।
    • जीवन में सब कुछ प्राप्त कर पाने की काबिलियत हमें, परिवार द्वारा प्रदान की जाती है।
    • परिवार के सही मार्ग दर्शन से व्यक्ति सफलता के उच्च शिखर को प्राप्त करता है इसके विपरीत गलत मार्ग दर्शन में व्यक्ति अपने पथ से भटक जाता है।
    • हमारे जीत पर हमारी सराहना तथा हार पर संतावना परिवार से मिलने पर हमारा आत्मविश्वास बढ़ जाता है। यह हमारे भविष्य के लिए कारगर साबित होता है।

    परिवार के प्रति हमारा दायित्व

    परिवार से प्राप्त प्यार और हमारे प्रति उनका निस्वार्थ समर्पण हमें उनका सदैव के लिए ऋणी बनाता है। अतः हमारा, हमारे परिवार के प्रति भी विशेष कर्तव्य बनता है।

    • बच्चों को सदैव अपने से बड़ों की आज्ञा का पालन करना चाहिए और स्वयं की बात समझाने का प्रयास करना चाहिए। किसी बात के लिए हठ करना उचित नहीं।
    • परिवार के इच्छाओं और अपेक्षाओं पर सदैव खरा उतरने का प्रयास करना चाहिए।
    • बच्चों और परिवार के मध्य कितना भी अनबन हो बच्चों को परिवार से दूर कभी नहीं होना चाहिए।
    • जिस बातों पर परिवार सहमत नहीं हैं, उन बातों पर पुनः विचार करना चाहिए और स्वयं समझने का प्रयास करना चाहिए।

    निष्कर्ष

    समाज में हमारे पिता के नाम के साथ हमें पहचान दिलाने से लेकर हमारे पिता को हमारे नाम से जानने तक, परिवार हमें हर प्रकार से सहयोग प्रदान करता है। परिवार के अभाव में हमारा कोई अस्तित्व नहीं है अतः हमें परिवार के महत्व को समझने की चेष्टा करनी चाहिए।