यह विभिन्न श्रेणियों के अर्न्तगत हिंदी, अंग्रेजी तथा अन्य प्रमुख भारतीय भाषाओँ एवं ब्रेल लिपि में पुस्तकें प्रकाशित करता है। यह हर दूसरे वर्ष नई दिल्ली में ‘विश्व पुस्तक मेले’ का आयोजन करता है, जो एशिया और अफ्रीका का सबसे बड़ा पुस्तक मेला है। यह प्रतिवर्ष 14 से 20 नवम्बर तक ‘राष्ट्रीय पुस्तक सप्ताह’ भी मनाता है।
सबसे अच्छी सखा किताबें कहलाती है
किताबें ~~~~ हर जिज्ञासु के मन में पाने की चाह है, मंजिल तक पहुंचाने का यही एक राह है।
नया करने का इनमे बनता ख़्वाब है, जिंदगी में सबसे अच्छा दोस्त किताब है।
इसी में कबीर के दोहे एवं संतों की वाणी है, इसी मेंअच्छी कविता एवं अच्छी कहानी है।
किताब ज्ञान का वह अनमोल धरोहर है, जैसा भरा जल की तरह अथाह सरोवर है ।
सामाजिक जीवन जीना बेहतर सिखाती है, स्वर्णिम भविष्य गढ़ना हमे बतलाती है।
विविध संस्कृति की अध्ययन हमे कराती है , सर्वधर्म समभाव की शिक्षा हमे बताती है।
मन की दुर्गुणों को निकालना सिखाती है, सबसे अच्छी सखा किताबें कहलाती है । ~~~~~~~~~~◆◆◆~~~~~~~~
रचनाकार – डीजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर” मिडिल स्कूल पुरुषोत्तमपुर,बसना जिला महासमुंद (छ.ग.) मो. 8120587822
यह विभिन्न श्रेणियों के अर्न्तगत हिंदी, अंग्रेजी तथा अन्य प्रमुख भारतीय भाषाओँ एवं ब्रेल लिपि में पुस्तकें प्रकाशित करता है। यह हर दूसरे वर्ष नई दिल्ली में ‘विश्व पुस्तक मेले’ का आयोजन करता है, जो एशिया और अफ्रीका का सबसे बड़ा पुस्तक मेला है। यह प्रतिवर्ष 14 से 20 नवम्बर तक ‘राष्ट्रीय पुस्तक सप्ताह’ भी मनाता है।
विश्व पुस्तक दिवस पर दोहे
ज्ञान,ध्यान,विज्ञान की,जो संपदा अपार। ग्रंथों में पूर्वज भरे,प्रेम सहित,आभार।।
ग्रंथ,नहीं होते सखे,केवल कोरा ज्ञान। स्पंदित इनमें युगों,के अमृतमय प्रान।।
ग्रंथों को पढ़ना नहीं,कर लेना संवाद। बोल पड़ेंगे शब्द भी,बनकर हर्ष-विषाद।।
अद्य गतागत काल के,इसमें कितने चित्र। कालजयी स्वर का तुम्हें, अनुभव होगा मित्र।।
शब्दों का होता नहीं, सब पर एक प्रभाव। वैसा उनको ही मिले,जैसा रहे स्वभाव।।
पुस्तक के संसार में,वे ही होते ग्रंथ । सत्य,शैव,सौंदर्य का,रच जाते जो पंथ।।
पुष्प म्लान होता नहीं,झरता मधु मकरंद। सदा स्नेह सम्मान से,किन्तु रहे अनुबंध।।
ग्रंथ अनूठे गीत का,नित नव बुनता छंद। वहाँ व्याकरण बह गया,फूट पड़ा आनंद ।।