Author: कविता बहार

  • दिन गुज़र गए बातें रह गई

    दिन गुज़र गए बातें रह गई

    वह दिन गुज़र गए, पर बात रह गई
    उसके प्यार में, हस्ती हमारी ढह गई

    याद आती हैं वो बातें जो उसने कही
    प्यार किया उसनें,चाहे धोखे में सही

    पल-पल घुटता रहा, उसकी यादों में
    जिंदगी हो गई, दफन उसके वादों में

    आज तक याद है , जहरीली वो बातें
    उसकी यादों में बिताई, गम भरी रातें

    वो मेरे अथाह दर्द पर हँस कर रह गई
    वह दिन गुज़र गए, पर बात रह गई

    प्यार का दर्द क्या है उसने मुझे बताया
    उसकी यादों ने, पल-पल मुझे सताया

    बातें उसकी, मधुर-मधुर प्यारी-प्यारी
    लगती थी वह मुझे सोन परी सी प्यारी

    उस सोन परी की बातें दिल में रह गई
    जिंदगी मेरी उसके हर दर्द को सह गई

    कटुता की ऐसी, आग लगी जीवन में
    जैसे हरियाली युक्त, आग लगी वन में

    कटुता की अग्नि में सारी यादें जल गई
    वादों की चट्टानें बर्फ की भांति गल गई

    दोनों की पीडाएँ, दर्द बनकर रह गई
    वह दिन गुज़र गए, पर बात रह गई

    हेमेन्द्र परमार

  • वन्दनवार:भारतीय के शत्रु हैं भारतीय ही आज

    वन्दनवार:भारतीय के शत्रु हैं भारतीय ही आज

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह


    =================
    गुरु की आज्ञा मानकर,
    केरल की छवि देख।
    रहने वालों पर लिखे,
    सबने सुन्दर लेख। १।
    सबके लेखों में मिले,
    जीवन सुखमय गान।
    शंकर के इस लेख को,
    मिली अलग पहचान।२।
    भारतीय हैं मानते,
    अतिथि देव की रीति ।
    इसीलिए आगंतुकों,
    से करते हैं प्रीति ।३।
    किन्तु परस्पर हैं बँटे,
    पाने को निज ख्याति।
    तुम नीची मै उच्च हूँ,
    कुल से मेरी जाति। ४।
    यही विदेशी देखकर,
    भारतीय की खोट।
    निम्न वर्ग पर कर रहे ,
    गहरी-गहरी चोट। ५।
    निम्न वर्ग के लोग तब,
    उच्च वर्ग को छोड़।
    छोड़ विदेशी साथ भी,
    लिए मार्ग निज मोड़। ६।
    यही विदेशी बढ रहे,
    उच्च वर्ग की ओर।
    मौका मिलते ही किया,
    वार महा घनघोर।७।
    भारतीय के शत्रु हैं,
    भरतीय ही आज।
    इसीलिए आगे बढ़ा,
    यवन-यहूदी राज। ८।
    =================
    एन्०पी०विश्वकर्मा, रायपुर 🙏
    **********************

  • झाँसी की रानी- एक श्रद्धांजलि – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    रानी लक्ष्मीबाई
    झाँसी की रानी

    झाँसी की रानी- एक श्रद्धांजलि – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    झाँसी की रानी की है अजब कहानी

    झाँसी को बचाने
    दी प्राणों की कुर्बानी

    सादे जीवन का
    बीज उसने बोया

    चार वर्ष की आयु में
    अपनी माँ को खोया

    बाल्यकाल से ही
    वह बिल्कुल निडर थी

    वीरता उसके
    मन में रची बसी थी

    घोड़े की सवारी
    लगती थी उसे न्यारी

    झाँसी को बचाने वह
    अंग्रेजों पर पड़ी भारी

    मन से निडर वह
    तन से सजग थी

    देश प्रेम की भावना
    उसके मन में बसी थी

    झाँसी से उसको कुछ
    विशेष ही लगाव था

    उसके कोमल मन पर
    शास्त्रों का प्रभाव था

    उसे मराठी , संस्कृत और
    हिंदी का ज्ञान था

    शस्त्रों से उसको
    विशेष ही लगाव था

    उसकी कुंडली में
    रानी का योग था

    मन में उसने अपने
    स्वतंत्रता का बीज बोया था

    बुंदेलों की परम्परा की
    यह महान रानी थी

    बुंदेले हरबोलों के मुहं
    हमने सुनी कहानी थी

    खूब लड़ी मर्दानी वह तो
    झाँसी वाली रानी थी

    नारी उत्थान की वह
    एक अनुपम कहानी थी

    1857 की वह तलवार
    पुरानी थी

    इस महान रानी ने
    झाँसी की बागडोर थामी थी

    यह कहानी उसके
    बलिदान की कहानी है

    जिसने सब मे देश प्रेम की
    नीव डाली थी

    खूब लड़ी मर्दानी वह तो
    झाँसी वाली रानी थी

    खूब लड़ी मर्दानी वह तो
    झाँसी वाली रानी थी

  • देवी के अनेक रूप / प्रिया शर्मा

    देवी के अनेक रूप / प्रिया शर्मा

    देवी दुर्गा के स्वयं कई रूप हैं (सावित्री, लक्ष्मी एव पार्वती से अलग)। मुख्य रूप उनका “गौरी” है, अर्थात शान्तमय, सुन्दर और गोरा रूप। उनका सबसे भयानक रूप “काली” है, अर्थात काला रूप। विभिन्न रूपों में दुर्गा भारत और नेपाल के कई मन्दिरों और तीर्थस्थानों में पूजी जाती हैं। माँ के अनेक रूप है इन महान माओ पर कविता बहार की कुछ अनमोल कविता –

    Maa Durga photo
    Maa Durga photo

    देवी के अनेक रूप / प्रिया शर्मा

    चंडी है, दुर्गा है, तू ही तो महाकाली है,

    वन-उपवन में तू ही तो फूलों को महकाती है।

    महिषासुर मर्दिनी है, तू ही शिव की शक्ति है,

    हर स्त्री में अंश तेरा ही, तू निष्ठा और भक्ति है।

    लक्ष्मी है, गौरी है, तू घुंघरू की झनकार है,

    ज्ञान की देवी तू ही, तू नारी का श्रृंगार है।

    सीता है, भगवद्गीता है, तू काली का अवतार है,

    चण्ड -मुण्ड संहारिणी है, तू तेजधार तलवार है।

    गंगा है, यमुना है, तू ही सृष्टि का आधार है,

    राधा तेरे नाम से इस जग में प्रेम भाव विस्तार है।

    अन्नपूर्णा है, अनसुइया है, तू अहिल्या सी नारी है,

    सबरी की भक्ति तू, तू द्रौपदी की विस्तृत साड़ी है।

    गीत तुझी से, साज तुझी से, तुझमें ज्ञान अपार है,

    भ्रमरों दी गुंजन तुझसे, नदियों की कलकल तुझसे, तुझमें सकल संसार है।

    प्रिया शर्मा

  • कल का दौर भी देखा -अक्षय भंडारी

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    कल का दौर भी देखा
    आज का भी दौर
    देख रहा हु

    संभल कर चलु
    कब तक
    सोचता हूं वक्त
    आज बुरा है
    कल वक्त अच्छा भी
    आएगा

    वक्त संभलकर चलना
    आज दुनिया मे काल
    के रूप विकराल है
    आज सहना, ठीक रहना

    यू ही किसके जाने में
    कब वो दिन गुजर गए
    यू ही बिलख-बिलख
    कर आंसुओ की
    बून्द बहती अपनो में

    यू ही दर पर कब
    वो क्षण आ जाए
    आए तो कब वो
    क्षण गुजर जाए।