शब्दो पर दोहे
शब्दो पर दोहे १सागर मंथन जब हुआ, चौदह निकले रत्न।*अन्वेषण* नित कर रहे, सतत समस्त प्रयत्न।।२*सम्प्रेषण* होता रहे, भव भाषा भू ज्ञान।विश्व राष्ट्र परिकल्पना, हो साकार सुजान।।३अपनी रही विशेषता, सब जन के परि त्राण।बना *विशेषण* हिन्द यह, सागर हिन्द प्रमाण।४*अन्वेषण*…