बेबश नारी पर कविता- लाचार ममता
बेबश नारी पर कविता सायं ठल गई अंधेरों में कब तक यूं ही सोओगे , ममता की दुलारी चिडियाँ कब तक यूं ही खोओगे। ममता का जमीर बेच दिया-इंसानियत के गद्दरो ने,बहना का सब धीर सेज दिया-चिडियाँ के हत्यारों ने।चोर,उच्चके…
बेबश नारी पर कविता सायं ठल गई अंधेरों में कब तक यूं ही सोओगे , ममता की दुलारी चिडियाँ कब तक यूं ही खोओगे। ममता का जमीर बेच दिया-इंसानियत के गद्दरो ने,बहना का सब धीर सेज दिया-चिडियाँ के हत्यारों ने।चोर,उच्चके…
जात-पात पर दोहे जात-पात के रोग से, ग्रस्त है सारा देश|भेद-भाव ने है दला, यहाँ पर वर्ग विशेष|| जात-पात के जहर से, करके बंटा-धार|मरघट-पनघट अलग हैं, करते नहीं विचार|| जात-पात के भेद में, नित के नए प्रपंच|जात मुताबिक संगठन, जात…
आदमी का प्रतिरूप पर कविता-विनोद सिल्ला आदमीनहीं रहा आदमीहो गया यन्त्र सा जिसका नियन्त्रण हैकिसी न किसीनेता के हाथकिसी मठाधीश के हाथया फिर किसीधार्मिक संस्था के हाथजिसका आचरण है नियंत्रितउपरोक्त द्वाराआदमी होने काआभास सा होता हैबस आदमी काप्रतिरूप सा लगता…
यहाँ माँ पर हिंदी कविता लिखी गयी है .माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है। मां की आंचल पर…
संभव क्यों नहीं कविता कामना हैन हो कोई सरहदन हो कोई बाधाभाषाओं कीविविधताओं कीजाति-पांतियों कीसभी दिलों में बहेएक-सी सरितासबके कानों में गूंजेएक-से तरानेसबके कदम उठेंऔर करें तयबीच के फांसलेयह सबनहीं है असंभवआदिकाल में थाऐसा हीफिर आज संभवक्यों नहीं Post Views:…