जिंदगी के सफर पर कविता- हरीश पटेल

जिंदगी के सफर पर कविता ज़िंदगी का सफ़र है मृत्यु तक।तुम साथ दो तो हर शै मयख़ाना हो ! हर रोज.. है एक नया पन्ना।हर पन्ने में, तेरा फ़साना हो !! यहाँ हर पल बदलते किस्से हैं हर किस्से का अलग आधार है ।अपने दायरे में सब सच्चे हैं उनका बदलता बस किरदार है । लगता कोई … Read more

स्त्री एक दीप-डॉ. पुष्पा सिंह’प्रेरणा’

स्त्री एक दीप स्त्री बदलती रहीससुराल के लिएसमाज के लिएनए परिवेश मेंरीति-रिवाजों मेंढलती रही……स्त्री बदलती रही! सास-श्वसुर के लिए,देवर-ननद के लिए,नाते-रिश्तेदारों के लिएपति की आदतों को न बदल सकीखुद को बदलती रही! इतनी बदल गयी किखुद को भूल गयी!फिरभी किन्तु परंतुचलता ही रहा,समझाइश भी मिलती-दूसरों को नहीं खुद को बदल लो! शायद थोड़ी सी बच … Read more

पर्यावरण पर कविता-बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’

save nature

पर्यावरण पर कविता पर्यावरण खराब हुआ, यह नहिं संयोग।मानव का खुद का ही है, निर्मित ये रोग।। अंधाधुंध विकास नहीं, आया है रास।शुद्ध हवा, जल का इससे, होय रहा ह्रास।। यंत्र-धूम्र विकराल हुआ, छाया चहुँ ओर।बढ़ते जाते वाहन का, फैल रहा शोर।। जनसंख्या विस्फोटक अब, धर ली है रूप।मानव खुद गिरने खातिर, खोद रहा कूप।। … Read more

सूरज पर कविता- आर आर साहू

सूरज पर कविता लो हुआ अवतरित सूरज फिर क्षितिज मुस्का रहा।गीत जीवन का हृदय से विश्व मानो गा रहा।। खोल ली हैं खिड़कियाँ,मन की जिन्होंने जागकर, नव-किरण-उपहार उनके पास स्वर्णिम आ रहा। खिल रहे हैं फूल शुभ,सद्भावना के बाग में,और जिसने द्वेष पाला वो चमन मुरझा रहा। चल मुसाफिर तू समय के साथ आलस छोड़ दे,देख … Read more

तन पर कविता-रजनी श्री बेदी

तन पर कविता हर मशीन का कलपुर्जा,मिल जाए तुम्हे बाजार में।नहीं मिलते हैं तन के पुर्जे,हो  चाहे उच्च व्यापार में। नकारात्मक सोचे इंसा तो, सिर भारी हो जाएगा।उपकरणों की किरणों से  , चश्माधारी  हो जाएगा।जीभ के स्वादों के चक्कर में,न डालो पेनक्रियाज को मझधार में।नहीं मिलते हैं तन के पुर्जे,हो चाहे उच्च व्यापार में। तला हुआ जब … Read more