doha sangrah

धनतेरस के दोहे (Dhanteras Dohe)

धनतेरस के दोहे (Dhanteras Dohe)

धनतेरस का पुण्य दिन, जग में बड़ा अनूप।
रत्न चतुर्दश थे मिले, वैभव के प्रतिरूप।।

आज दिवस धनवंतरी, लाए अमृत साथ।
रोग विपद को टालते, सर पे जिसके हाथ।।

देव दनुज सागर मथे, बना वासुकी डोर।
मँदराचल थामे प्रभू, कच्छप बन अति घोर।।

प्रगटी माता लक्षमी, सागर मन्थन बाद।
धन दौलत की दायनी, करे भक्त नित याद।।

शीतल शशि उस में मिला, शंभु धरे वह माथ।
धन्वन्तरि थे अंत में, अमिय कुम्भ ले हाथ।।

बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’