शांतिदूत पर कविता -शांति के दीप जलाते हैं

शांतिदूत पर कविता -शांति के दीप जलाते हैं विश्व पटल पर मानवता के फूल खिलाते हैं,हम हैं शांतिदूत, शांति के दीप जलाते हैं। भेद भाव के भवसागर में,दया भाव भरली गागर में,त्रस्त हृदय को दया कलश से सुधा पिलाते हैं। मानव बन मानव की खातिर, दूर करें अज्ञान का तिमिर,इस वसुधा पर ज्ञान पताका हम फहराते … Read more

हाइकु मंजूषा -पद्ममुख पंडा स्वार्थी

हाइकु

हाइकु मंजूषा 1चल रही हैचुनावी हलचलप्रजा से छल 2 भरोसा टूटाकिसे करें भरोसासबने लूटा 3 शासन तंत्रबदलेगी जनताहक बनता 4 धन लोलूपनेता हो गए सबअब विद्रूप 5 मंडरा रहाभविष्य का खतराचुनौती भरा 6 खल चरित्रजीवन रंगमंचन रहे मित्र 7 प्यासी वसुधाजो शान्त करती हैसबकी क्षुधा 8 नदी बनाओजल संरक्षण कावादा निभाओ 9 गरीब लोगनिहारते गगननोट … Read more

वर्षा ऋतु कविता – कवयित्री श्रीमती शशिकला कठोलिया

वर्षा ऋतु कविता  ग्रीष्म ऋतु की प्रचंड तपिश, प्यासी धरती पर वर्षा की फुहार,       चारों ओर फैली सोंधी मिट्टी,प्रकृति में होने लगा जीवन संचार। दिख रहा नीला आसमान ,सघन घटाओं से आच्छादित ,वर्षा से धरती की हो रही ,श्यामल सौंदर्य द्विगुणित ।  छाई हुई है खेतों में ,सर्वत्र हरियाली ही हरियाली ,नाच रहे हैं … Read more

संयुक्त राष्ट्र दिवस पर कविता-अरुणा डोगरा शर्मा

संयुक्त राष्ट्र दिवस पर कविता मैं पृथ्वी,सुनाती हूं अपनी जुबानी साफ जल, थल, वायु से,साफ था मेरा जीवमंडल।मानव ने किया तिरस्कार,बर्बरता से तोड़ा मेरा कमंडल।दूषित किया जल, थल, वायु को की अपनी मनमानी ।मैं पृथ्वी,सुनाती हूं अपनी जुबानी। उत्सर्जन जहरीली गैसों का, औद्योगिकरण का गंदा पानी, वन नाशन,अपकर्ष धरा का निरंतर बढा़ता चला गया।ऋषियो, मुनियों ने माना था,मुझे कुदरत का … Read more

संयुक्त राष्ट्र संघ का सपना -बृजमोहन श्रीवास्तव “साथी”

संयुक्त राष्ट्र संघ का सपना संयुक्त राष्ट्र संघ का सपना ,                मानव श्रेष्ठ बनाना है ।शोषण कोई नही कर पाये ,         जन जन को बतलाना है ।। भूख गरीबी लाचारी में ,            जो जन जीवन जीता है ।सच मानो वो … Read more