कविता बहार

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

ज्योति पर्व नवरात पर दोहे -आर आर साहू

ज्योति पर्व नवरात पर दोहे जगमग-जगमग जोत से,ज्योतित है दरबार।धरती से अंबर तलक,मां की जय-जयकार।। मनोकामना साथ ले,खाली झोली हाथ।माँ के दर पे टेकते,कितने याचक माथ।। धन-दौलत संतान सुख,पद-प्रभुता की चाह।माता जी से मांगकर,लौटें अपनी राह।। छप्पन भोगों का चढ़ा…

माँ दुर्गा से संबंधित हाइकु -सुधा शर्मा

दुर्गा या आदिशक्ति हिन्दुओं की प्रमुख देवी मानी जाती हैं जिन्हें माता, देवी, शक्ति, आध्या शक्ति, भगवती, माता रानी, जगत जननी जग्दम्बा, परमेश्वरी, परम सनातनी देवी आदि नामों से भी जाना जाता हैं।[शाक्त सम्प्रदाय की वह मुख्य देवी हैं। दुर्गा को आदि शक्ति, परम भगवती परब्रह्म बताया गया…

सूनी इक डाली हूँ-नील सुनील

सूनी इक डाली हूँ सूनी इक डाली हूँ। सोचें सब माली हूँ।।  तू खेले लाखों में। मैं पैसा जाली हूँ।।  घर बच्चे भूखे हैं। मैं खाली थाली हूँ।।  तू मन्नत रब की है। मैं बस इक गाली हूँ।।  अदना सा हूँ शायर। समझें वो हाली…

तुममें राम कौन है?-राहुल लोहट

तुममें राम कौन है? मैदान खुला है,भीड़ बहुत है,जोर-जोर के जयकारे चीर रहे है आस्मां,दहन है विद्वान कामूर्खों के हाथों,सजा बार-बार क्यूं ?सवाल मन को खंगोलता है।मेरा कसूर क्या बहन की इज्जत रक्षा बस?आज जरूरत है हर घर में,मुझ जैसे रावण की लड़े जो…

अभी मैं मरा नहीं हूँ-नील सुनील

अभी मैं मरा नहीं हूँ। हां देश की खातिर मर जाने की, मैंने कसम उठाई थी। जिस्म के मेरे, मर जाने पर. आंख सभी भर आई थी। जिस्म से हूं मर गया बेशक, रूह से मरा नहीं हूँ। अभी मैं मरा नहीं हूँ। राजगुरु था सुखदेव था, फांसी पर वो…