विंध्यवासिनी विनाश दुःख का करो -दुर्गा शंकर इजारदार

विंध्यवासिनी विनाश दुःख का करो

अजेय विंध्यवासिनी विनाश दुःख का करो ,
त्रिशूल धारिणी सहाय प्राण शत्रु का हरो ।।

सभी सुखी रहें यहाँ जवान हो कि वृद्ध हो ,
सदैव काम क्रोध लोभ से विचार शुद्ध हो ।।

विदेश देश हो सदा गुँजायमान भारती ,
सभी जमात एक हो करें सुजान आरती ।।

मरें नहीं अकाल मौत नौनिहाल भूख से ,
जले नहीं महान बेटियाँ दहेज दुःख से ।।

गले मिले सभी यहां कि बैर भाव छोड़ के ,
अराधना करूँ यही कि मात हाथ जोड़ के ।।

निशुम्भशुम्भनाशिनी नमो पिनाकधारिणी ,
प्रभावती नरेश्वरी अनेक शस्त्रधारिणी ।।

नमो सती जया सुधा क्षमा प्रभा शिवाप्रिया ,
नमामि कालरात्रि पार्वती नमो हरिप्रिया ।।

दुर्गा शंकर इजारदार
सारंगढ़(मौहापाली)9617457142

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कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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