आओ चले गाँव की ओर-रीतु देवी
आओ चले गाँव की ओर आओ चले गाँव की ओरगाँव की मिट्टी बुलाती उन्मुक्त गगन ओररस बस जाए गाँव में ही,स्वर्ग सी अनुभूति होती यहीं।खुला आसमाँ, ये सारा जहाँस्वछंद गाते, नाचते भोली सूरत यहाँ।आओ चले गाँव की ओरगाँव की मिट्टी बुलाती उन्मुक्त गगन ओरआमों के बगीचे हैं मन को लुभाते,फुलवारियाँ संग-संग हैं सबको झूमाते ,झूम-झूम … Read more