हाथ जोड़कर विनय करू माँ
मंगल करनी भव दुख हरणी।
माता मम् भव सागर तरणी।
हाथ जोड़कर विनय करू माँ।
अर्ज दास की भी सुन लो माॅ ।
निस दिन ध्यान करू मै मैया।
तुम हो मेरी नाव खिवैया।
तुम बिन कौन सुने अब मैया।
मँझधारों मे फसती नैया।
गहरा सागर नाव पुरानी।
इसको मैया पार लगानी।
मदन सिंह शेखावत