गंगा की गरिमा रखे
गंगा की गरिमा रखे,
रखना इसका मान।
यही पावन पवित्र है,
विश्व करे सम्मान।
गंगा है भागीरथी,
करती है उद्धार ।
मत इसको गन्दा करे,
भव से लगाय पार।
मत डाले तू गन्दगी,
गंगा की रख शान।
भव से है यह तारती,
रख ले मन मे मान।
गंगा हरसी पाप को,
करले अब उद्धार।
गंगा के गुणगान कर,
महिमा अपरम्पार ।
गंगा अमृत समान है,
जन जन मे विश्वास।
पर्यावरण बिगाङ के,
क्यो खोये यह आस।
गंगा जीवन दायनी,
अन्न धन भरे भण्डार।
पीने को जल देय कर,
जीवन देय उभार।।
मदन सिंह शेखावत ढोढसर