हर शाम सुबह होने का देती है पैगाम।

हर शाम सुबह होने का देती है पैगाम

हर शाम सुबह होने का देती है पैगाम।
उम्मीदें रखो दिल पर छोड़ो ना लगाम।

आंधी आ जाए ,घरोंदे टूट जाए।
आंधी थमने दो, जो हुआ रहने दो।
फिर से बनाओ अपना मुकाम ।।
हर शाम सुबह होने का देती है पैगाम।

माथे पे पसीना आकर सुख जाए ।
मेहनत ऐसी कि आलस झुक जाए ।
हाथ चले तब तक जब मिले अंजाम ।
हर शाम सुबह होने का देती है पैगाम।

नई किरणें लिए सूर्य का धूप
खिलते जाएंगे इसमें कई रूप।
हर रूप का होगा नया नाम।।
हर शाम सुबह होने का देती है पैगाम।

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