मानवता पर कविता
पावन मानवता का संगम,
हो नव आशाओं का संचार।
नई सोच व नई उमंग से,
मानवता की हो जयकार।।
प्रभु नित नित वंदन करूँ जयकार।।……
प्रेम भाव का दीप जले,
हो हर मन में उजियारा।
सारे जग में अब बन जाये,
अपना ही यह भारत प्यारा।।
जले ज्ञान का दीपक सदा,
मिटे जगत से अंधकार।….
प्रभु नित नित वंदन करूँ जयकार।।……
बँधे एकता सूत्र में हम सब,
ऐसा संगम हो मिले वरदान।
भारत भू की एकता जग में,
बन जाये सबकी पहचान।।
मिट जाये हर मन से अब,
राग द्वेष का मैल सारा।
किरणें फैले पावनता की,
हर आँगन खुशियों की धारा।।
अन्तः मन की जगे चेतना,
बहे मानवता की अब धार।।….
प्रभु नित नित वंदन करूँ जयकार।।……
पावन मानवता का संगम,
नव आशाओं का संचार।
नई सोच व नई उमंग से,
मानवता की हो जयकार।। ………
प्रभु नित नित वंदन करूँ जयकार।।……
……….भुवन बिष्ट
रानीखेत जिला-अल्मोड़ा, (उत्तराखंड )
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद