हर गीत तुम्हारे नाम लिखूंगी
हर गीत तुम्हारे नाम लिखूंगी
हे मितवा मनमीत मेरे
हर गीत तुम्हारे नाम लिखूंगी
शब्दों में जो बंध ना पाये
ऐसे कुछ अरमान लिखूंगी
प्रीत के पथ के हम दो राही
तेरा नेह बनाकर स्याही
अपने अनुरागी जीवन में
तुझको अपनी जान लिखूंगी
खुद को खोकर तुझको पाया
ईश मेरे मै तेरी छाया
अपना सबकुछ अर्पण करके
तुझको ही पहचान लिखूंगी
जन्मों जनम तुम्हीं को चाहूँ
तुमको पाकर सब बिसराऊँ
रंग जाऊँगी रंग में तेरे
मै खुद को अनजान लिखूंगी
तुझसे है श्रृंगार हमारा
मै आश्रित तू मेरा सहारा
एक दूजे के पूरक बनकर
तुझको अपना मान लिखूंगी
- नीतू ठाकुर
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद