तीजा तिहार पर आधारित लोकगीत
ठेठरी खुरमी धर के दीदी,
तीजा मनाये बर आहे जी।
गंहू के गुलगुल भजिया धरके,
डोकरी दाई बर लाथे जी।।
दाई ददा के मयारू ह,
बेटी बनके आहे जी।
बालपन के संगी जहूंरिया,
डेरउठी म रद्दा निहारे जी।।
बारा बजे गिंजर गिंजर के,
करुभात झेलावत है जी।
होत बिहिनिया सजसंवर के,
लुगरा ले बर जावत हे जी।।
पेटभर खाके रात जगारा,
जम्मों खुलखुलावत हे जी।
गजगज गजगज घर अंगना,
बातो नई सिरावत है जी।।
तीजा उपास रही दीदी मन,
भाटोंके उमर बढ़ावत हे जी।
अमर सुहाग अशीष पाए बर,
गउरा के मनावत है जी।।
सोहारी ठेठरी कतरा भजिया,
किसम किसम बनावत है जी।
सबझन मान गउन करत हे,
मइके सुख वो पावत हे जी।।
दु दिन के तीज तिहार,
बेटी के मान बढ़ावत हे जी।
कुछु नई माँगे बहिनी मन ,
मइके के लाज बचावत हे जी।
तिरिया के सुखदुख कतका ,
तिरिया मन हर जाने जी।
गुटूमुटु सब बात घिरिया के ,
हाँसत तीजा ले जावत है जी।
माधुरी डड़सेना
नगर पंचायत भखारा छ .ग.