गरीबी का घाव

गरीबी का घाव आग की तपिस में छिलते पाँवभूख से सिकुड़ते पेटउजड़ती हुई बस्तियाँऔर पगडण्डियों परबिछी हैं लाशें ही लाशेंकहीं दावत कहीं जश्नकहीं छल झूठे प्रश्नतो कहीं …. आलीशान महलों की रेव पार्टियाँदो रोटी को तरसतेहजारों बच्चों परकर्ज की बोझ से दबेलाखों हलधरों परऔर मृत्यु से आँखमिचोली करतेश्रमजीवी करोड़ों मजदूरों परशायद! आज भी …. किसी … Read more

ये  शहर हादसों का शहर हो न जाए

हादसों का शहर ये  शहर  हादसों  का  शहर  हो न जाए।अमन पसंद लोगों पर कहर हो न जाए।।न  छेड़  बातें  यहां  राम  औ  रहीम की,हिन्दू  और  मुसलमां  में बैर हो न जाए।।अमृत  सा  पानी  बहे  इन दरियाओं  में,आबो हवा बचाओ सब जहर हो न जाए।।गोलियों की  आवाजें सुन  ही  जाती  हैं,पूरी  इन्सानियत  ही  ढेर  हो  … Read more

अब्र के दोहे

अब्र के दोहे मस्ताया मधुमास है, गजब दिखाए रंग।फागुन बरसे टूटकर, उठता प्रीत तरंग।। लाया फूल पलाश का, मस्त मगन मधुमास।सेमल-सेमल हो गया, फागुन अबके खास।। काया नश्वर है यहाँ, मत भूलें यह बात।कर्म अमर रहता सदा, भाव जगे दिन रात।। सार्वजनिक जीवन सदा, भेद भाव से दूर।जिनका भी ऐसा रहा, वो जननायक शूर।। होली … Read more

जीवन यही है

जीवन यही है मार्च के महीने मेंदेखता हूँ बिखरे पत्ते धरती की छाती पररगड़ते घिसतेहवा की सरसराहट के संगखर्र खर्र की आवाज बिखरती हैं कानों मेंयत्र तत्रटहनियों से अलग होने के बादमृत प्रायः, काली पीली काया बिखरे पत्तों की…छोड़ती है अपनी अमिट छापउम्रदराज हो जाते हैंआदमी की तरह..सूखे पत्तेहरितिमा नहीं रहती जब कायमवसंत ऋतु के … Read more

महादेवी वर्मा पर कविता

महादेवी वर्मा पर कविता हिंदी मंदिर की सरस्वती,तुम हिंदी साहित्य की जान।छायावादी युग की देवी,महादेवी महिमा बड़ी महान।।दिया धार शब्दों को,हिंदी साहित्य है बतलाता।दिव्य दृष्टि दी भारत को,साहित्य तुम्हारा जगमगाता।।प्रेरणास्रोत कलम की तुम,हो दर्पण झिलमिलाता।दशा दिशा इस भारत की,जो सबकुछ है दिखलाता।।करुणामयी करुणा की देवी,नारियों की तुम माता।निवलों,विकलों,दुखियों की,तुम हो आधार दाता।।जीव जंतु प्रेमिका तुम,हो … Read more