दिल की बात जुबाँ पे अक्सर हम लाने से डरते हैं
दिल की बात जुबाँ पे अक्सर हम लाने से डरते हैं दिल की बात जुबाँ पे अक्सर हम लाने से डरते हैंकहने को तो हम कह जाएँ पर कहने से बचते हैं।दिल वालों की इस बस्ती में कौन किसी का…
दिल की बात जुबाँ पे अक्सर हम लाने से डरते हैं दिल की बात जुबाँ पे अक्सर हम लाने से डरते हैंकहने को तो हम कह जाएँ पर कहने से बचते हैं।दिल वालों की इस बस्ती में कौन किसी का…
हाय रे गरीबी (१)भूख में तरसता यह चोला,कैसे बीतेगी ये जीवन।पहनने के लिए नहीं है वस्त्र,कैसे चलेगी ये जीवन। (२)किसने मुझे जन्म दिया,किसने मुझे पाला है।अनजान हूं इस दुनिया में,बहुतों ने ठुकराया है। (३)मजबुर हूं भीख मांगना,छोटी सी अभी…
अनिता मंदिलवार सपना की कविता समझदार बनो कहते हैं बड़े बुजुर्गसमझदार बनोजब बेटियाँ चहकती हैंघर के बाहरखिलखिलाती हैंउड़ना चाहती हैंपंख कतर दिये जाते हैंकहा जाता हैतहजीब सीखोसमझदार बनो !जब वह बराबरीकरती दिखती भाई कीउसे एहसासदिलाया जाता है कितुम लड़की होतुम्हें…
बना है बोझ ये जीवन कदम (मुज़तस मुसम्मन मखबून)बना है बोझ ये जीवन कदम थमे थमे से हैं,कमर दी तोड़ गरीबी बदन झुके झुके से हैं।लिखा न एक निवाला नसीब हाय ये कैसा,सहन ये भूख न होती उदर दबे दबे…
क्षुधा पेट की बीच सड़क पर क्षुधा पेट की, बीच सड़क पर।दो नन्हों को लायी है।।भीख माँगना सिखा रही जो।वो तो माँ की जायी है।।हाथ खिलौने जिसके सोहे।देखो क्या वो लेता है।कोई रोटी, कोई सिक्का,कोई धक्का देता है।।खड़ी गाड़ियों के पीछे…