पालन अपना कर्म करो

पालन अपना कर्म करो

पाया जीवन है मनुष्य का,पालन अपना कर्म करो ।
जीव जंतुओं पशु पक्षी पर, व्यहार को अपने नर्म करो ।।
जल प्रथ्वी से खत्म हो रहा ।
और पारा बढ़ता गर्मी का ।।
जीवों पर संकट मंडराए ।
रहा अंश ना नरमी का ।।
दया नही आती जीवों पार,कुछ तो थोड़ी शर्म करो ।।
जीव जंतुओं पशु पक्षी पर, व्यहार को अपने नर्म करो ।।१।। 

सूखा पड़ा हुआ धरती तल ।
प्रकृति में अब नही कहीं जल ।।
देख रहे बिन पक्षी तुम कैसे ।
सुखमय मधुमय सा अपना कल ।।
स्थल स्थल हो जल सुविधा,पालन अपना कर्म करो ।।
जीव जंतुओं पक्षी पर, व्यहार को अपने नर्म करो ।।२।।

भीषण गर्मी तपता जीवन ।
नष्ट किया तुमने ही तो वन ।।
भूल करो स्वीकार तुम अपनी ।
जगह जगह हो वृक्षारोपण ।।
चहके गोरैय्या आंगन तो,जल की व्यवस्था पूर्ण करो ।।३।।

पाया जीवन है मनुष्य का,पालन अपना कर्म करो ।
जीव जंतुओं पशु पक्षी पर, व्यहार को अपने नर्म करो ।।

शिवांगी मिश्रा*
लखीमपुर खीरी
उत्तर प्रदेश

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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