मन की जिद ने इस धरती पर कितने रंग बिखेरे
मन की जिद ने इस धरती पर कितने रंग बिखेरे दिन गुजरे या रातें बीतीं ,रोज लगाती फेरे।मन की जिद ने इस धरती पर, कितने रंग बिखेरे।कभी संकटों के बादल ने, सुख सूरज को घेरा।कभी बना दुख बाढ़ भयावह ,मन में डाले डेरा।जिद ही है जिसने धरती पर ,एकलव्य अवतारा।जिद ही थी जिसने रावण को … Read more