सागर पर हिंदी कविता – सुकमोती चौहान रुचि

सागर पर हिंदी कविता सागर गहरा ज्ञान सा, बड़ा वृहद आकार |कौन भला नापे इसे, डूबा ले संसार |डूबा ले संसार, नहीं सीमा है कोई |कहलाये रत्नेश, यही कंचन की लोई |कहती रुचि यह बात , यही मस्ती का आगर |अनुपम दे आनंद,देख लो गहरा सागर || सागर तट पर बैठकर ,लहरें गिनकर आज |भाव … Read more

सर्द हवाएँ – सुकमोती चौहान रुचि

सर्द हवाएँ – सुकमोती चौहान रुचि सर्द हवाएँ हृदय समाये, तन मन महका जाये |आ कानों में कुछ कहती है, मधुरिम भाव जगाये | हमको तुम कल शाम मिले थे, पसरी थी खामोशी |भाव अनेकों उमड़ पड़े थे, लब पर थी मदहोशी ||शांत सुखद मौसम लगता है, मन ये शोर मचाये |सर्द हवाएँ हृदय समाये, … Read more

गुरुवर – सुकमोती चौहान रुचि

महर्षि वेद व्यासजी का जन्म आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को ही हुआ था, इसलिए भारत के सब लोग इस पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं। जैसे ज्ञान सागर के रचयिता व्यास जी जैसे विद्वान् और ज्ञानी कहाँ मिलते हैं। व्यास जी ने उस युग में इन पवित्र वेदों की रचना की जब शिक्षा … Read more

अहिल्या (खण्डकाव्य)- सुकमोती चौहान रुचि

इंद्र के गलती की वजह ऋषि गौतम ने माता अहिल्या शाप देकर पत्थर बना दिया। कालांतर में प्रभु श्रीराम के चरणस्पर्श द्वारा वे पुन: स्त्री बनी।

वन दुर्दशा पर हिंदी कविता

वन दुर्दशा पर हिंदी कविता अब ना वो वन हैना वन की स्निग्ध छायाजहाँ बैठकर विक्रांत मनशांत हो जाता थाजहाँ वन्य जीव करती थी अटखेलियाँजहाँ हिरनों का झुण्ड भरती थी चौकड़ियाँवन के नाम पर बचा हैमिलों दूर खड़ा अकेला पेड़कुछ पेड़ों के कटे अवशेषया झाड़ियों का झुरमुटजो अपनी दशा पर है उदासबड़ी चिंतनीय बात हैवनों … Read more