एक पंथ के दो पथिक
एक पंथ के दो पथिक एक पंथ के दो पथिक सदा, आपस में टकरायेंगे |टेड़ी – मेड़ी राहें जुड़कर , उनको सदा मिलायेंगे | तन – मन पर जो ओढ़ रखा वह, चादर कितना मोटा है |अखिल विश्व ये आज सिमटकर, लगता कितना छोटा है ||उम्र काट देते हैं सारी, तू – तू मैं – … Read more