एक पंथ के दो पथिक
एक पंथ के दो पथिक एक पंथ के दो पथिक सदा, आपस में टकरायेंगे |टेड़ी – मेड़ी राहें जुड़कर , उनको सदा मिलायेंगे | तन – मन पर जो ओढ़ रखा वह, चादर कितना मोटा है |अखिल विश्व ये आज…
एक पंथ के दो पथिक एक पंथ के दो पथिक सदा, आपस में टकरायेंगे |टेड़ी – मेड़ी राहें जुड़कर , उनको सदा मिलायेंगे | तन – मन पर जो ओढ़ रखा वह, चादर कितना मोटा है |अखिल विश्व ये आज…
सुकमोती चौहान “रुचि” की 10 रचनाएँ एक अंकुरित पौधा एक अंकुरित आम , पड़ा था सड़क किनारे ।आते जाते लोग , सभी थे उसे निहारे ।।खोज रहा अस्तित्व , उठा ले कोई सज्जन ।दे दे जड़ को भूमि , लगा…
सुकमोती चौहान रुचि की ग़ज़ल गज़ल बहर 1212 1212 1212 1212 दबा के दुखती नस को लाया जलज़ला अभी -अभीच़रागे दिल जला गया वो हमनवा अभी – अभीदुआ करो कि बुझ न पाये आग ये जुनून कीमुझे दिखा मुकाम वो…
शादी के वातावरण को बयां करती कविता
सकल सृष्टि पर व्याप्त
वायु पर रचना