धरती तुझे प्रणाम

धरती तुझे प्रणाम माथ नवाकर नित करूँ , धरती तुझे प्रणाम ।जीव जंतु का भूमि ही , होता पावन धाम ।। खेले कूदे गोद में , सबकी माँ हो आप ।दुष्ट मनुज को भी सदा , देती ममता थाप ।। धरती माँ जैसी नहीं , कोई पालन हार ।सबका सहती भार ये , महिमा अपरंपार … Read more

हरे यादों के पन्ने-सुकमोती चौहान “रुचि”

हरे यादों के पन्ने किया याद है कौन , हिचकियाँ मुझको आई ।गुजरे अरसे बाद , कसक हिचकोले खाई ।जिल्द पुराने झाड़ , हरे यादों के पन्ने ।अधर खिला मुस्कान , नेत्र जल मीठे गन्ने ।कुछ यादें जीवन के अमर , अनायास ही उभरते ।निराकार अव्यक्त ये , मानस पट पर विचरते । आया बचपन … Read more

निर्भया न्याय दिवस पर कविता

निर्भया न्याय दिवस पर कविता सन् दो हजार बीस,बीस मार्च रहा अनुपम।स्वर्णिम दिन है आज,शांत मन तन है शुद्धम।हुई न्याय की जीत,निर्भया तेरी जय हो।दुराचार का अंत,सजा देना अब तय हो।सात साल के बाद में,फाँसी में झूले सभी।अब हो नहीं समाज में, फिर ऐसी घटना कभी। सुकमोती चौहान रुचिबिछिया ,महासमुन्द,छ.ग.

मिट्टी की घट पर कविता की महिमा बताती सुकमोती चौहान रुचि की छप्पय छंद में यह अनूठा काव्य

मिट्टी की घट पर कविता मिट्टी घट की ओर ,चलो अब लौटे हम सब।प्लास्टिक का प्रतिबंध,मनुज स्वीकारोगे कब।मृदा प्रदूषण रोक,पीजिए घट का पानी।स्वस्थ रहेगा गात, स्वच्छता बने निशानी।घड़ा सुराही की शुद्धता, मान रहा विज्ञान भी।लाइलाज रोगों की दवा,मिट्टी यह वरदान भी। ✍ सुकमोती चौहान रुचिबिछिया,महासमुन्द,छ.ग.

धनतेरस पर कविता-सुकमोती चौहान रुची

धनतेरस पर कविता सजा धजा बाजार, चहल पहल मची भारीधनतेरस का वार,करें सब खरीद दारी।जगमग होती शाम,दीप दर दर है जलते।लिए पटाखे हाथ,सभी बच्चे खुश लगते।खुशियाँ भर लें जिंदगी,सबको है शुभकामना।रुचि अंतस का तम मिटे,जगे हृदय सद्भावना। ✍ सुकमोती चौहान “रुचि”