
बेटी (चौपाईयाँ) – डॉ एन के सेठी
बेटी करती घर उजियारा।
दूर करे जग काअँधियारा।।
बेटी होती सबकी प्यारी।
लगती है सबसे ही न्यारी।।
सृष्टा की सुंदर सृष्टी है।
करती खुशियों की वृष्टी है।।
बेटी घर को पावन करती।
घर पूरा खुशियों से भरती।।
बेटी आन बान घर घर की।
बेटी रौनक है इस जग की।।
बेटी आँगन की फुलवारी।
पापा की है राजदुलारी।।
बेटी से घर आँगन महके।
बेटी चिड़िया की सी चहके।।
बेटी को भी खूब पढ़ाओ।
उसको सब दिल सेअपनाओ।।
बेटी कुल की बेल बढ़ाती।
सबको आपस में मिलवाती।।
दो दो कुल का मान बढाएं।
बेटी जन्मे खुशी मनाएं।।
डॉ एन के सेठी