भारत गर्वित आज पर्व गणतंत्र हमारा
धरा हरित नभ श्वेत, सूर्य केसरिया बाना।
सज्जित शुभ परिवेश,लगे है सुभग सुहाना।।
धरे तिरंगा वेश, प्रकृति सुख स्वर्ग लजाती।
पावन भारत देश, सुखद संस्कृति जन भाती।।
भारत गर्वित आज,पर्व गणतंत्र हमारा।
फहरा ध्वज आकाश,तिरंगा सबसे प्यारा।।
केसरिया है उच्च,त्याग की याद दिलाता।
आजादी का मूल्य,सदा सबको समझाता।।
सिर केसरिया पाग,वीर की शोभा होती।
सब कुछ कर बलिदान,देश की आन सँजोती।।
शोभित पाग समान,शीश केसरिया बाना।
देशभक्त की शान,इसलिए ऊपर ताना।।
श्वेत शांति का मार्ग, सदा हमको दिखलाता।
रहो एकता धार, यही सबको समझाता।।
रहे शांत परिवेश , उन्नति चक्र चलेगा।
बनो नेक फिर एक,तभी तो देश फलेगा।।
समय चक्र निर्बाध,सदा देखो चलता है।
मध्य विराजित चक्र, हमें यह सब कहता है।।
भाँति भाँति ले बीज,फसल तुम नित्य लगाओ।।
शस्य श्यामला देश, सभी श्रमपूर्वक पाओ।।
धरतीपुत्र किसान, तुम इनका मान बढ़ाओ।
करो इन्हें खुशहाल,समस्या मूल मिटाओ।।
रक्षक देश जवान, शान है वीर हमारा।
माटी पुत्र किसान,बनालो राज दुलारा।।
अपना एक विधान , देश के लिए बनाया।
संशोधन के योग्य, लचीला उसे सजाया।।
देश काल परिवेश ,देखकर उसे सुधारें।
कठिनाई को देख, समस्या सभी निवारें।।
अपना भारत देश, हमें प्राणों से प्यारा।
शुभ संस्कृति परिवेश,तिरंगा सबसे न्यारा।।
बँधे एकता सूत्र, पर्व गणतंत्र मनाएँ।
विश्व शांति बन दूत,गान भारत की गाएँ।।
--गीता उपाध्याय'मंजरी' रायगढ़ छत्तीसगढ़
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