बहार शब्द पर दोहा

बहार शब्द पर दोहा


रंग बिरंगे फूल से ,
            छाए बाग बहार ।
भौरें भी मदमस्त हो ,
           झूमे मगन अपार ।।

रखें भरोसा ईश पर ,
             जीवन हो उजियार ।
सदा प्रतिष्ठा मान से ,
             छाए हर्ष बहार ।।

घर में खुशी बहार है ,
               अपने भी हैं साथ ।
करे दिखावा प्रेम का ,
               पकड़ रखे हैं हाथ ।।

वन में आज बहार है ,
               तरुवर कर श्रृंगार ।
टेसू की ये लालिमा ,
               करे बाग मनुहार ।।

कर्म विजय का ध्येय धर ,
              छाए देश बहार ।
कहे रमा ये सर्वदा ,
              सफल बने संसार ।।

             मनोरमा चन्द्रा “रमा”
                 *रायपुर (छ.ग.)*

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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