शहीदों की कुर्बानी पर कविता -मनोरमा जैन पाखी

शहीद दिवस पर कविता

शहीदों की कुर्बानी पर कविता -मनोरमा जैन पाखी पवन वेग से उड रे चेतक ,जहाँ दुश्मन यह आया है ।रखा रुप विकराल दुष्ट ने ,ताँडव  वहाँ  मचाया  है। रक्तरंजित हो गयी धरा ,निर्दोषो के खून से।जाने न पाये दुष्ट नराधमरंग दे भू उस खून से । रही सिसकती आज वसुंधरादेखे अपना दामन लाल।न जाने कितनी … Read more

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चाँद पर कविता

दोहा

चाँद बिखरता चाँदनी चाँद बिखरता चाँदनी,करता जग अंजोर।चंद्र कांति से नित लगे,अभी हुआ है भोर।। दुनिया भर से तम मिटा,चारों दिशा प्रकाश।नील गगन पर दिव्यता,आलोकित आकाश।। नवग्रह देव मयंक हैं,धरो मनुज तुम ध्यान।पूज्यनीय है परम प्रभु,चंद्र देव को मान।। शीतल पुंज प्रकाश से,नाद करे भू ताल।वही निशापति चाँद हैं,शोभित शंकर भाल।। सारे तारे देख लो,शशिधर … Read more

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मनोरमा चंद्रा के दोहे

दोहा

मनोरमा चंद्रा के दोहे मिथ्या मिथ्या बातें छोड़कर, सत्य वचन नित बोल।दुनिया भर में यश बढ़े, बनें जगत अनमोल ।। अपने मन में ठान कर, मिथ्या का कर त्याग।जीवन कटे शुकून से, समय साथ लो जाग।। सत्य झूठ में भेद अति, करलो सच पहचान।जीवन में हो सत्यता, बनो श्रेष्ठ इंसान।। झूठा बनकर सामने, खड़ा हुआ … Read more

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श्री नाथ की स्तुति – डॉ मनोरमा चंद्रा रमा

गेय कविता

यहां पर कवियत्री डॉ मनोरमा चंद्रा रमा द्वारा रचित कविता श्रीनाथ की स्तुति आपके समक्ष प्रस्तुत है श्री नाथ की स्तुति स्तुति कर श्री नाथ की, कृपा मिले भगवंत।कण-कण ईश विराजते, उनका आदि न अंत।। मिले प्रशंसा खास तो, रहना शुक्र गुजार।नम्र भावना से सदा, करें प्रकट आभार।। ध्यान धरे मन अर्चना, स्तुति पावन भाव।भक्ति … Read more

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कमल पर दोहे

दोहा

प्रस्तुत कविता डॉ. मनोरमा चन्द्रा ‘रमा’ रायपुर (छ.ग.) द्वारा रचित है जिसे दोहा छंद विधा में लिखा गया है। यहां पर कमल पुष्प के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है। कमल पर दोहे विधा — दोहा छंदशीर्षक — “कमल” कमल विराजे हरिप्रिया, देती धन वरदान।धन्य हुआ मकरंद अति, अपना गौरव जान।। खिलते जल … Read more

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अभिमान पर कविता

दोहा

प्रस्तुत हिंदी कविता ” अभिमान ” कवयित्री मनोरमा चंद्रा’रमा‘ के द्वारा दोहा — छंद में रची गई है। इस कविता में कवयित्री ने माया , धन वैभव की निस्सारता, जाति धर्म भेदभाव पर भी बात रखी है। अभिमान पर कविता मन में निश्छलता रहे, छोड़ चलें अभिमान।श्रेष्ठ जीत के भ्रम पड़े, खोना मत पहचान।। माया … Read more

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बहार शब्द पर दोहा

Kavita-bahar-Hindi-doha-sangrah

बहार शब्द पर दोहा रंग बिरंगे फूल से ,            छाए बाग बहार ।भौरें भी मदमस्त हो ,           झूमे मगन अपार ।। रखें भरोसा ईश पर ,             जीवन हो उजियार ।सदा प्रतिष्ठा मान से ,             छाए हर्ष बहार ।। घर में खुशी बहार है ,               अपने भी हैं साथ । करे दिखावा प्रेम का ,               पकड़ रखे … Read more

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जब तक तन में प्रान

करो लोकहित तुम मनुज जब तक तन में प्रान देश सदा उन्नति करे ,मन में लेना ठान ।करो लोकहित तुम मनुज ,जब तक तन में प्रान ।। है स्वतंत्र यह देश है ,बनो नहीं अंजान ।निर्भर होना छोड़ तू,इसकी बन पहचान ।। जाति-पाति के भेद से ,रहो सदा ही दूर ।एक देश के लाल हो … Read more

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