मेरे भारत देश है श्रेष्ठ गुणों की खान -मनोरमा चन्द्रा “रमा”

मेरे भारत देश है श्रेष्ठ गुणों की खान -मनोरमा चन्द्रा “रमा”

mahapurush

मन में अभिलाषा भरी,
सभी बने विद्वान।
मेरे भारत देश है,
श्रेष्ठ गुणों की खान।।

शांति नाद गूँजे सदा,
सबका हो अरमान।
सत्य, अहिंसा मार्ग चल,
वही श्रेष्ठतम जान।।

रंग भेद को तज चलें,
रखें मनुज समभाव।
श्रेष्ठ कर्म नित कर चलो,
रिश्ते लगे न दाव।।

देश भक्ति कर लो सदा,
श्रेष्ठ उसे तू जान।
मातृभूमि से स्नेह अति,
करलो तुम इंसान।।

श्रेष्ठ कर्म के पुंज से,
मनुज ध्येय को धार।
कहे रमा ये सर्वदा,
जीवन का वह सार।।

मनोरमा चन्द्रा “रमा”
रायपुर (छ.ग.)

दिवस आधारित कविता