सच्ची मुहब्बत पर गजल

सच्ची मुहब्बत पर गजल

भला इस दौर में सच्ची मुहब्बत कौन करता है
बिना मतलब जहाँ भर में इबादत कौन करता है
हसीं रंगीन दुनिया के नजारे छोड़ कर पीछे
मुहब्बत के सफीनों की जियारत कौन करता है
यह खुदगर्ज़ी भरी दुनिया यहाँ कोई नहीं अपना
किसी मजबूर पर दिल से इनायत कौन करता है
अमीरी में हज़ारों हाथ बन जाते सहारा पर
ग़रीबी में पकड़ दामन अक़ीदत कौन करता है
खुराफ़ाती हवाओं के तने तेवर यहां पर जो
दिखाकर दम बयां सबसे हक़ीक़त कौन करता है

कुसुम शर्मा अंतरा
जम्मू कश्मीर

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