Category साहित्य

चाह गई चिंता मिटी: एक प्रेरणादायक कविता

चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह।जिनको कछु न चाहिए, वे साहन के साह॥ रहीम कहते हैं कि किसी चीज़ को पाने की लालसा जिसे नहीं है, उसे किसी प्रकार की चिंता नहीं हो सकती। जिसका मन इन तमाम चिंताओं से…