by कविता बहार | Jan 22, 2021 | लोकप्रिय हिंदी कविता
कलगी बाजरे की / अज्ञेय हरी बिछली घास।दोलती कलगी छरहरे बाजरे की। अगर मैं तुम को ललाती सांझ के नभ की अकेली तारिकाअब नहीं कहता,या शरद के भोर की नीहार – न्हायी कुंई,टटकी कली चम्पे की, वगैरह, तोनहीं कारण कि मेरा हृदय उथला या कि सूना हैया कि मेरा प्यार मैला... by कविता बहार | Jan 22, 2021 | लोकप्रिय हिंदी कविता
यह दीप अकेला / अज्ञेय यह दीप अकेला स्नेह भराहै गर्व भरा मदमाता परइसको भी पंक्ति को दे दो यह जन है : गाता गीत जिन्हें फिर और कौन गायेगापनडुब्बा : ये मोती सच्चे फिर कौन कृति लायेगा?यह समिधा : ऐसी आग हठीला बिरला सुलगायेगायह अद्वितीय : यह मेरा :...
by कविता बहार | Jan 22, 2021 | लोकप्रिय हिंदी कविता
ऊँचाई / अटल बिहारी वाजपेयी अटल बिहारी वाजपेयी ऊँचे पहाड़ पर,पेड़ नहीं लगते,पौधे नहीं उगते,न घास ही जमती है। जमती है सिर्फ बर्फ,जो, कफ़न की तरह सफ़ेद और,मौत की तरह ठंडी होती है।खेलती, खिलखिलाती नदी,जिसका रूप धारण कर,अपने भाग्य पर बूंद-बूंद रोती है। ऐसी ऊँचाई,जिसका...
by कविता बहार | Jan 22, 2021 | लोकप्रिय हिंदी कविता
झुक नहीं सकते / अटल बिहारी वाजपेयी अटल बिहारी वाजपेयी टूट सकते हैं मगर हम झुक नहीं सकते सत्य का संघर्ष सत्ता सेन्याय लड़ता निरंकुशता सेअंधेरे ने दी चुनौती हैकिरण अंतिम अस्त होती है दीप निष्ठा का लिये निष्कंपवज्र टूटे या उठे भूकंपयह बराबर का नहीं है युद्धहम निहत्थे,...
by कविता बहार | Jan 22, 2021 | लोकप्रिय हिंदी कविता
भारत जमीन का टुकड़ा नहीं / अटल बिहारी वाजपेयी अटल बिहारी वाजपेयी भारत जमीन का टुकड़ा नहीं,जीता जागता राष्ट्रपुरुष है।हिमालय मस्तक है, कश्मीर किरीट है,पंजाब और बंगाल दो विशाल कंधे हैं।पूर्वी और पश्चिमी घाट दो विशाल जंघायें हैं।कन्याकुमारी इसके चरण हैं, सागर इसके पग...
by कविता बहार | Jan 22, 2021 | लोकप्रिय हिंदी कविता
आओ फिर से दिया जलाएँ / अटल बिहारी वाजपेयी अटल बिहारी वाजपेयी आओ फिर से दिया जलाएँभरी दुपहरी में अँधियारासूरज परछाई से हाराअंतरतम का नेह निचोड़ें-बुझी हुई बाती सुलगाएँ।आओ फिर से दिया जलाएँ हम पड़ाव को समझे मंज़िललक्ष्य हुआ आँखों से ओझलवर्त्तमान के मोहजाल में-आने वाला...