झुक नहीं सकते / अटल बिहारी वाजपेयी

झुक नहीं सकते / अटल बिहारी वाजपेयी

atal bihari bajpei
अटल बिहारी वाजपेयी

टूट सकते हैं मगर हम झुक नहीं सकते

सत्य का संघर्ष सत्ता से
न्याय लड़ता निरंकुशता से
अंधेरे ने दी चुनौती है
किरण अंतिम अस्त होती है

दीप निष्ठा का लिये निष्कंप
वज्र टूटे या उठे भूकंप
यह बराबर का नहीं है युद्ध
हम निहत्थे, शत्रु है सन्नद्ध
हर तरह के शस्त्र से है सज्ज
और पशुबल हो उठा निर्लज्ज

किन्तु फिर भी जूझने का प्रण
अंगद ने बढ़ाया चरण
प्राण-पण से करेंगे प्रतिकार
समर्पण की माँग अस्वीकार

दाँव पर सब कुछ लगा है, रुक नहीं सकते
टूट सकते हैं मगर हम झुक नहीं सकते

झुक नहीं सकते / अटल बिहारी वाजपेयी

दिवस आधारित कविता