चार के चरचा
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चार दिन के जिनगी संगी
चार दिन के हवे जवानी
चारेच दिन तपबे संगी
फेर नि चलय मनमानी।
चारेच दिन के धन दौलत
चारेच दिन के कठौता।
चारेच दिन तप ले बाबू
फेर नइ मिलय मौका।।
चार भागित चार,होथे
बराबर गण सुन।
चार दिन के जिनगी म
चारो ठहर गुण।।
चार झन में चरबत्ता गोठ
चारो ठहर के मार।
चार झनके संग संगवारी
लेगही मरघट धार।।
चार झन के सुन, मन म गुण
कर सुघ्घर काम।
चार झन ल लेके चलबे
चलही तोर नाम।।