चैत्र शुक्ल में मनाएं नवरात्रि त्यौहार
चैत्र शुक्ल में मनाएं ,नवरात्रि त्यौहार ।
सुख वैभव भरपूर ,खुशियां मिले अपार ।।
प्रथम दिवस शैलपुत्री कुँवारी कन्या माता ।
पूजा करने वाला सुख-सम्पति पाता ।।
ब्रह्मचारिणी देवी है, स्त्री रूप में गुरु ।
ज्ञान आनंद की दात्री पावन होती रूह ।।
चंद्रघंटा के दशो भुजाओं में अस्त्र ।
सिंह सवार होकर शत्रु को करे पस्त ।
चतुर्थ दिवस को पूजित माँ कुष्मांडा ।
हँसने से इनके होता उत्पन्न ब्रह्माण्ड ।।
शिवपत्नी कार्तिकेय की जननी स्कंदमाता।
भक्तो की पालक जग की यही विधाता ।।
कात्यायनी ने दिया गोपियों को कृष्णप्रेम वरदान ।
असुरो का संहार किया धरती का उत्थान ।।
कालरात्रि माँ मशाल से करे प्रकाश ।
साधना विघ्न दूर हो घट जाये संत्रास ।।
अष्टमी को महागौरी की करे आराधना ।
जनकल्याण करे ये माता पूरी हो साधना ।।
नवमी सिद्धिदात्री पूजन आठ दिवस का फल ।
भक्त तुमको मोक्ष मिलेगा जीवन होगा सफल ।।
जीवन में सुख मिले दुखो का हो अंत ।
नवरात्रि के पावन समय ,खुशियां मिले अनन्त ।।
प्रकाश शर्मा ‘पंकज’