चरित्र विषय पर दोहे : राधा तिवारी
चिंतन और चरित्र से ,हो जाता उद्धार।
नीच कर्म करके मनुज ,कैसे हो व्यापार।।
राधे नेक विचार से ,उत्तम बने चरित्र।
सदा सत्य को ही रखो ,साथ बनाकर मित्र।।
कर चरित्र निर्माण भी ,और काम के साथ।
मात-पिता का हो सदा , सबके सिर पर हाथ।।
सतयुग के तो बाद में ,आया कलयुग काल।
सद्चरित्र से ही मनुज ,रखना इसे संभाल।।
दूध दही की ही तरह ,मन को रखें पवित्र।
अंतर्मन में ही दिखे, खुद का सदा चरित्र।।
राधा तिवारी
“राधेगोपाल”
एल टी अंग्रेजी अध्यापिका
खटीमा,उधम सिंह नगर
उत्तराखंड