पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती पर कविता – उपमेंद्र सक्सेना

पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती पर कविता

दिखा गए जो मार्ग यहाँ वे, उसको सब अपनाएँ
दीनदयाल उपाध्याय जी को हम भुला न पाएँ।

सन् उन्निस सौ सोलह में पच्चीस सितंबर आई
नगला चंद्रभान मथुरा में, खुशियाँ गईं मनाई
पिता भगवती प्रसाद जी माता बनीं राम प्यारी
उठा पिता का साया फिर थी, संघर्षों की बारी

वे मेधावी छात्र रहे थे, किसे नहीं वे भाएँ
दीनदयाल उपाध्याय जी को हम भुला न पाएँ।

संघ- प्रचारक बनकर अपना, जीवन किया समर्पित
उनके कारण ही भारत में, मानवता है गर्वित
जोड़ दिया एकात्म बने वे मानववाद प्रणेता
बाधाओं का किया सामना, बनकर रहे विजेता

उनकी लिखी हुई रचनाएँ, जन-मानस में छाएँ
दीन दयाल उपाध्याय जी को हम भुला न पाएँ।

जनसंघी नेता थे जाने-माने रहे विचारक
बने यहाँ अध्यक्ष पार्टी के सच्चे उद्धारक
पत्रकार थे श्रेष्ठ और अद्भुत चिंतन था उनका
था इतना व्यवहार मधुर वे हर लेते मन सबका

भारत माता के सपूत वे, जो सद्भाव जगाएँ
दीन दयाल उपाध्याय जी को हम भुला न पाएँ।

रचनाकार -उपमेंद्र सक्सेना एड.
‘कुमुद- निवास’
बरेली (उ.प्र.)
मोबा. नं.- 98379 44187

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