यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०उपमेंद्र सक्सेनाके हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

shri Krishna
Shri Krishna

श्रीकृष्ण पर कवितायें- जन्माष्टमी पर्व विशेष

श्रीकृष्ण पर कवितायें Shri Krishna हठ कर बैठे श्याम, एक दिन मईया से बोले।ला के दे-दे चंद्र खिलौना चाहे तो सब ले-ले।हाथी ले-ले, घोड़ा ले-ले, तब मईया बोली।कैसे ला दूं…

Continue Readingश्रीकृष्ण पर कवितायें- जन्माष्टमी पर्व विशेष

आज बेटी किसी की बहू

आज बेटी किसी की बहू गीत - उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट दर्द को जो समझते नहीं हैं कभी, बेटियों से किसी की करें हाय छल।क्यों बहू को यहाँ नौकरानी समझ, जुल्म…

Continue Readingआज बेटी किसी की बहू

लोक गीत -उपमेंद्र सक्सेना

लोक गीत -उपमेंद्र सक्सेना जाकी लाठी भैंस बाइकी, बाकौ कौन नाय अबु जनि हैकमजोरन की लुगाइनन कौ,दइयर तौ भौजाई मनि है।ब्याहु पड़ौसी को होबन कौ, बाके घरि आए गौंतरियापपुआ ने…

Continue Readingलोक गीत -उपमेंद्र सक्सेना

वसंत ऋतु पर छोटी सी कविता (short poem on spring)

वसंत भारतीय वसंत को दर्शाता है, और ऋतु का मौसम है। वसंत ऋतु के मुख्य त्योहारों में से एक वसंत पंचमी (संस्कृत: वसन्त पञ्चमी) को मनाया जाता है, जो भारतीय समाज में…

Continue Readingवसंत ऋतु पर छोटी सी कविता (short poem on spring)

महाशिवरात्रि पर कविता – उपमेंद्र सक्सेना

महाशिवरात्रि पर कविता - उपमेंद्र सक्सेनाबने आप भोले जहर पी लिया सब, लगें आप हमको सब से ही न्यारेनिवेदन करें हम महादेव प्यारे, न डूबें कभी भी हमारे सितारे।बजे हर…

Continue Readingमहाशिवरात्रि पर कविता – उपमेंद्र सक्सेना

कबाड़ पर कविता -उपमेंद्र सक्सेना

कबाड़ पर कविता -उपमेंद्र सक्सेना सब हुआ कबाड़ था,भाग्य में पछाड़ थारास्ता उजाड़ था, सामने पहाड़ था।छल- कपट हुआ यहाँ, सो गए सभी सपनकर दिया गया दहन, मिल सका नहीं…

Continue Readingकबाड़ पर कविता -उपमेंद्र सक्सेना

एक पड़ोसन पीछे लागी – उपमेंद्र सक्सेना

एक पड़ोसन पीछे लागीआज लला की महतारी कौ, अपुने मन की बात बतइहौं एक पड़ोसन पीछे लागी, बाकौ अपुने घरि लै अइहौं।बाके मारे पियन लगो मैं, नाय पियौं तौ रहो…

Continue Readingएक पड़ोसन पीछे लागी – उपमेंद्र सक्सेना

निर्धन पर अत्याचार – उपमेंद्र सक्सेना

आज यहाँ निर्धन का भोजन, छीन रहा धनवान हैहड़प रहा क्यों राशन उनका, यह कैसा इंसान है।हमने देखा नंगे भूखे, राशन कार्ड बिना रहते हैंहाय व्यवस्था की कमजोरी, जिसको बेचारे…

Continue Readingनिर्धन पर अत्याचार – उपमेंद्र सक्सेना

होबै ब्याहु करौ तइयारी – उपमेंद्र सक्सेना

होबै ब्याहु करौ तइयारीचलिऔ संग हमारे तुमुअउ, गौंतर खूब मिलैगी भारीराम कली के बड़े लला को, होबै ब्याहु करौ तइयारी।माँगन भात गई मइके बा, लेकिन नाय भतीजी मानीबोली मौको बहू…

Continue Readingहोबै ब्याहु करौ तइयारी – उपमेंद्र सक्सेना

जब विपदा आ जाए सम्मुख – उपमेंद्र सक्सेना

जब विपदा आ जाए सम्मुख जिसका साथ निभातीं परियाँ, मनचाहा सुख पाता हैजब विपदा आ जाए सम्मुख, कोई नहीं बचाता है।क्या है उचित और क्या अनुचित, बनी न इसकी परिभाषादुविधा…

Continue Readingजब विपदा आ जाए सम्मुख – उपमेंद्र सक्सेना