Tag: #उपमेंद्र सक्सेना
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लोक गीत -उपमेंद्र सक्सेना
लोक गीत -उपमेंद्र सक्सेना जाकी लाठी भैंस बाइकी, बाकौ कौन नाय अबु जनि हैकमजोरन की लुगाइनन कौ,दइयर तौ भौजाई मनि है। ब्याहु पड़ौसी को होबन…
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वसंत ऋतु पर छोटी सी कविता (short poem on spring)
वसंत भारतीय वसंत को दर्शाता है, और ऋतु का मौसम है। वसंत ऋतु के मुख्य त्योहारों में से एक वसंत पंचमी (संस्कृत: वसन्त पञ्चमी) को मनाया जाता…
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महाशिवरात्रि पर कविता – उपमेंद्र सक्सेना
महाशिवरात्रि पर कविता – उपमेंद्र सक्सेना बने आप भोले जहर पी लिया सब, लगें आप हमको सब से ही न्यारेनिवेदन करें हम महादेव प्यारे, न…
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कबाड़ पर कविता -उपमेंद्र सक्सेना
कबाड़ पर कविता -उपमेंद्र सक्सेना सब हुआ कबाड़ था,भाग्य में पछाड़ थारास्ता उजाड़ था, सामने पहाड़ था। छल- कपट हुआ यहाँ, सो गए सभी सपनकर…
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एक पड़ोसन पीछे लागी – उपमेंद्र सक्सेना
एक पड़ोसन पीछे लागी आज लला की महतारी कौ, अपुने मन की बात बतइहौं एक पड़ोसन पीछे लागी, बाकौ अपुने घरि लै अइहौं। बाके मारे…
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निर्धन पर अत्याचार – उपमेंद्र सक्सेना
आज यहाँ निर्धन का भोजन, छीन रहा धनवान हैहड़प रहा क्यों राशन उनका, यह कैसा इंसान है। हमने देखा नंगे भूखे, राशन कार्ड बिना रहते…
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होबै ब्याहु करौ तइयारी – उपमेंद्र सक्सेना
होबै ब्याहु करौ तइयारी चलिऔ संग हमारे तुमुअउ, गौंतर खूब मिलैगी भारीराम कली के बड़े लला को, होबै ब्याहु करौ तइयारी। माँगन भात गई मइके…
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जब विपदा आ जाए सम्मुख – उपमेंद्र सक्सेना
जब विपदा आ जाए सम्मुख जिसका साथ निभातीं परियाँ, मनचाहा सुख पाता हैजब विपदा आ जाए सम्मुख, कोई नहीं बचाता है। क्या है उचित और…
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नया अब साल है आया – उपमेंद्र सक्सेना
नया अब साल है आया नया अब साल है आया, रहे इंसानियत कायममुहब्बत के चिरागाँ इसलिए हमने जलाए हैं। सुकूने बेकराँ मिलती, अगर पुरशिस यहाँ…
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लातन को जो भूत हियन पै – उपेन्द्र सक्सेना
लातन को जो भूत हियन पै पर कविता जिसके मन मै ऐंठ भरै बौ, अपने आगे किसकौ गिनिहैलातन को जो भूत हियन पै,बातन से बौ…