मिलकर पुकारें आओ -नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

मिलकर पुकारें आओ !


फिर मिलकर पुकारें आओ
गांधी, टालस्टाय और नेल्सन मंडेला
या भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद और सुभाष चन्द्र बोस की
दिवंगत आत्माओं को
ताकि हमारी चीखें सुन उनकी आत्माएं
हमारे बेज़ान जिस्म में समाकर जान फूंक दे
ताकि गूंजे फिर कोई आवाजें जिस्म की इस खण्डहर में
ताकि लाश बन चुकी जिस्म में लौटे फिर कोई धड़कन
ताकि जिस्म में सोया हुआ विवेक जागे,सुने,समझे
और अनुत्तरित आत्मा के सवालों का जवाब दे
ताकि एक बार फिर उदासीन जिस्म से फूटे कोई प्रतिरोध का स्वर
इसीलिए दिवंगत आत्माओं को
फिर मिलकर पुकारें आओ !

— नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

 9755852479

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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